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वास्तव इंडिया ट्रस्ट की बहु-राज्य छात्रवृत्ति और सौर उपकरण धोखाधड़ी के मामले में ईओडब्ल्यू को मिली बड़ी सफलता
भुवनेश्वर। आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू), भुवनेश्वर ने वास्तव इंडिया ट्रस्ट की बहु-राज्य छात्रवृत्ति और सौर उपकरण धोखाधड़ी के मामले में दो और लोगों को झारखंड के रांची से गिरफ्तार किया है। आरोपियों की पहचान निशांत प्रकाश जयसवाल और अमर दानिश के रूप में की गई है, जो संबंधित राज्य फील्ड अधिकारी और ओडिशा के लिए वास्तव इंडिया ट्रस्ट के प्रोजेक्ट प्रभारी थे। मंगलवार को गिरफ्तारी के बाद दोनों को ट्रांजिट रिमांड पर भुवनेश्वर लाया गया। ईओडब्ल्यू ने बुधवार को एक विज्ञप्ति में कहा कि उन्हें जल्द ही कटक में ओपीआईडी कोर्ट के सामने पेश किया जाएगा।
उपरोक्त संदर्भित मामला वास्तव इंडिया ट्रस्ट के खिलाफ सेबती महंत और अन्य की याचिका पर की गई जांच का नतीजा है। बताया गया है कि वास्तव इंडिया ट्रस्ट के अध्यक्ष, सचिव, सीएमडी और परियोजना प्रभारी के खिलाफ उके सौर जागरूकता कार्यक्रम में एलईडी बल्ब बेचने/आपूर्ति करने और छात्रों को प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति देने के बहाने जनता और अभिभावकों को ठगने का आरोप लगा था। उनका ‘छुउलू आसमान’ कार्यक्रम 4 करोड़ रुपये का है। इसके बाद वे अपने कार्यालय बंद कर गायब हो गये। सब-रजिस्ट्रार, रांची, झारखंड के साथ पंजीकृत ‘वास्तव इंडिया ट्रस्ट’ ने मार्च, 2022 के दौरान बोमीखाल, भुवनेश्वर में एक कार्यालय खोला था। गिरफ्तार आरोपी व्यक्तियों ने अन्य लोगों के साथ मिलकर ‘सौर जागरूकता’ और ‘प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति’ पर दो कार्यक्रम शुरू किए, जिनका नाम “छुउलू आसमान” था।
सौर जागरूकता कार्यक्रम के तहत, वे प्रत्येक आवेदक से सदस्य शुल्क के रूप में 1650/- रुपये नकद लेते थे और उन्हें एलईडी बल्ब प्रदान करने का आश्वासन देते थे। ट्रस्ट द्वारा प्रदान किए गए सर्वेक्षण आवेदन पत्र में एमएसएमई मंत्रालय, भारत सरकार का लोगो शामिल था। भारत की जो आम जनता का विश्वास जीतने के लिए बनाई गई है। बताया जाता है कि
छुउलू आसमान नामक अपने प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति कार्यक्रम में ट्रस्ट सदस्यता शुल्क के रूप में 3,000/- रुपये की एकमुश्त जमा राशि पर 24 महीने तक 1,000/- रुपये प्रति माह की छात्रवृत्ति की पेशकश कर रहा था। छात्रवृत्ति राशि संबंधित छात्रों के माता-पिता के नाम से खोले गए बैंक खाते में देय थी।
इस तरह ट्रस्ट ने जनता और अभिभावकों समेत 3500 से ज्यादा लोगों से करीब 4 करोड़ रुपये जुटाए। एकमुश्त सदस्यता शुल्क लेने के बाद ट्रस्ट ने शुरू में कुछ छात्रों को 1,000/- रुपये भेजे, लेकिन उसके बाद कभी कोई राशि नहीं दी।
अचानक ट्रस्ट व पदाधिकारी कार्यालय बंद कर गायब हो गए। ट्रस्ट द्वारा धोखाधड़ी से जुटाए गए धन का ट्रस्ट के अध्यक्ष, सचिव, परियोजना प्रभारी और अन्य अधिकारियों द्वारा दुरुपयोग किया गया।