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शिकायत सुनने के बजाय नौकरी से निकाल देना दुर्भाग्यपूर्ण – समीर मोहंती
भुवनेश्वर। मुख्यमंत्री महिला सशक्तिकरण की बातें करते रहते हैं, लेकिन एक गरीब माता की शिकायत सुनने के बजाय, उन्हें नौकरी से हटा देना सही बात नहीं है। मयूरभंज जैसे जनजाति बहुल जिले की महिला राष्ट्रपति बनी हैं। उसी जिले की एक जनजाति महिला की दुःख व शिकायत को न सुनकर उन्हें नौकरी से निकाल देना, चिंता का विषय है। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष तथा पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य समीर मोहंती ने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को पत्र लिखकर ये बातें कहीं हैं।
मोहंती ने अपने पत्र में कहा कि मयूरभंज जिले के खुंटा प्रखंड के बंधगोडा पंचायत के जनजातीय महिला भारती सिंह मिशन शक्ति के अधीन बैंक मित्र के रुप में कार्य कर अपने परिवार चलाती थी। पंचायत में वह काफी सालों से कार्य कर रही है तथा उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रखंड प्रशासन व जिला प्रशासन द्वारा अनेक बार पुरस्कृत भी हुई हैं।
बैंक मित्र के तौर पर उन्हें मासिक 6 हजार रुपये जीपीएलएफ द्वारा आर्थिक अनुदान मिलता है। इतनी राशि में उनका परिवार चलाना कठिन होने के कारण इस संबंध में ऊपर के अधिकारियों को बताने के साथ साथ अतिरिक्त राशि देनेके लिए उन्होंने अनुरोध किया था। लेकिन उनकी बात किसी ने नहीं सुनी। इस कारण वह भुवनेश्वर में लोअर पीएमजी में आकर आयोजित धरना में शामिल हुई थी। इस दौरान उन्होंने कहा था कि 5-टी सचिव जिलों का दौरा करते समय बैंक मित्रों ने भी अपनी समस्याओं को लेकर ज्ञापन दिया था, लेकिन उस पर किसी प्रकार की कार्रवाई न होने की बात उन्होंने मीडियाकर्मियों के सामने कही थी।
इस प्रतिक्रिया के बाद जिला प्रशासन ने एक गरीब महिला श्रीमती सिंह को नौकरी से निकाल दिया है। यह सरकार की असंवेदनशीलता को प्रदर्शित करता है। मोहंती ने अपने पत्र में मुख्यमंत्री से कहा कि इस बारे में आप अवगत हैं कि नहीं मुझे मालुम नहीं है। लेकिन पत्र मिलने के बाद भारती सिंह को पुनः नौकरी दिला कर उन्हें न्याय प्रदान करेंगे, ऐसी आशा है।