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ग्रामीण इलाकों में 8.59 लाख लोग योजना के तहत घर पाने से हुए वंचित
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0.41 लाख घरों को मंजूरी नहीं मिली
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कैग की रिपोर्ट में हुआ खुलासा
भुवनेश्वर। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने ओडिशा में प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) के कार्यान्वयन में बड़ी खामियां पाई हैं। ग्रामीण इलाकों में 8.59 लाख लोग पीएमएवाई योजना के तहत घर पाने से वंचित हुए हैं तथा करोड़ों रुपये की गड़बड़ी हुई है।
विधानसभा में मंगलवार को पेश की गई कैग की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार ने 2022 तक सभी लोगों को घर उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा था, लेकिन राज्य के ग्रामीण इलाकों में 8.59 लाख लोग पीएमएवाई योजना के तहत घर पाने से वंचित रह गए हैं। कैग ने कहा है कि 8.59 लाख लाभार्थियों को स्थायी प्रतीक्षा सूची से बाहर कर दिया गया था, जिन्हें ग्राम सभाओं द्वारा पात्र माना गया था। पीएमएवाई-जी के तहत घरों की मंजूरी में प्राथमिकता संख्याओं का पालन नहीं किया गया था और सभी 24 परीक्षण जांच किए गए पीएस में घरों को मंजूरी देते समय जारी की गई प्राथमिकता संख्याओं का उल्लंघन किया गया था। धोखाधड़ी वाले कार्य आदेश जारी किए गए और गैर-लाभार्थियों को भुगतान जारी किया गया।
कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि चूंकि 0.41 लाख घरों को मंजूरी नहीं दी जा सकी, इसलिए राज्य को 295 करोड़ का परिहार्य वित्तीय बोझ उठाना होगा।
अधूरे मकानों को पूर्ण दिखाया
आवास सॉफ्ट में अधूरे मकानों को पूर्ण दिखा दिया गया, मकानों का निर्माण व्यवसायिक प्रयोजन से किया गया तथा बड़े आकार के मकानों का निर्माण देखा गया। अन्य संबंधित योजनाओं से धन जुटाने में विफलता के कारण लाभार्थी बुनियादी सुविधाओं जैसे पेयजल, शौचालय, बिजली आदि से वंचित थे। ऑडिट में सत्यापित 647 पूर्ण घरों में से, 347 घरों में कोई शौचालय नहीं था, 122 घरों में पीने के पानी की सुविधा नहीं थी, 199 घरों में बिजली कनेक्शन नहीं था, 291 घरों में एलपीजी प्रावधान नहीं था और 22 घरों में कोई संपर्क सड़क नहीं थी।
मजदूरी भुगतान का भी अतार्किक प्रावधान
इसके साथ ही कैग ने कहा है कि मनरेगा के साथ अभिसरण में मजदूरी भुगतान का भी अतार्किक प्रावधान था, क्योंकि या तो पहली किस्त जारी होने से पहले पूर्ण मजदूरी घटकों का भुगतान किया गया था या छत के स्तर तक घरों के पूरा होने के बाद भी मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया था। पीएमएवाई-जी के लिए राज्य नोडल खाते के अलावा, आईसीआईसीआई बैंक में एक और खाता संचालित किया गया था और 18.10 करोड़ अनियमित रूप से खाते में स्थानांतरित किए गए थे।
41,146 मामलों में विलंब से भुगतान
41,146 मामलों में संबंधित लाभार्थियों को पहली किस्तें 07 से 1,576 दिनों की देरी से जारी की गईं। प्रशासनिक निधियों में से 7.83 करोड़ अस्वीकार्य मदों पर खर्च किए गए थे।
3,521 मामलों में घर राज्य के बाहर स्थित दिखाए गए
कैग की रिपोर्ट में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि आवास सॉफ्ट डेटा नमूना जिलों में घरों के भौगोलिक स्थान से संबंधित गलत जानकारी दिखाती है। 3,521 मामलों में घर राज्य के बाहर स्थित दिखाए गए थे।
इधर, कैग की रिपोर्ट में उल्लेखित धोखाधड़ी को लेकर ओडिशा सरकार से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी थी।