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संगठित तरीके से धोखाधड़ी सिंडिकेट का कर रहे थे संचालन
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अब तक कुल सात हो चुके हैं गिरफ्तार
भुवनेश्वर। अगर आप भुवनेश्वर में जमीन खरीदकर अपने सपनों का घर बनाना चाहते हैं, तो धोखेबाजों से सावधान रहें। भुवनेश्वर में कमिश्नरेट पुलिस की विशेष अपराध इकाई (एससीयू) ने जमीन धोखाधड़ी रैकेट का भंडाफोड़ किया है। इससे पहले इस सिलसिले में पांच जालसाजों को गिरफ्तार किया गया था। हाल ही में दो और लोगों को पकड़ा गया है। कुल मिलाकर अब तक सात लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
एक जांच में राजधानी शहर में एक संगठित धोखाधड़ी सिंडिकेट के संचालन का खुलासा हुआ है, जो उन संदिग्ध व्यक्तियों को शिकार बनाता है, जिन्होंने लंबे समय तक अपनी जमीन को ऐसे ही छोड़ दिया है। बताया जाता है कि इनकी कार्यप्रणाली में वास्तविक बिक्री कार्यों की प्रमाणित प्रतियां प्राप्त करना, फिर ठोस नकली दस्तावेज़ तैयार करना और उन्हें पीड़ितों को प्रामाणिक रिकॉर्ड के रूप में प्रस्तुत करना शामिल है। यहां तक कि उप रजिस्ट्रार कार्यालय की एक हेड क्लर्क, कमला स्वाईं भी कथित तौर पर भूमि धोखाधड़ी रैकेट का शिकार हो गईं।
कमला ने अफसोस जताया कि मेरी दो बेटियां हैं और उनकी शादी हो चुकी है। अपनी सेवानिवृत्ति के बाद हमने अपनी पूरी बचत से अपनी बेटियों के घर के पास जमीन इस उम्मीद से खरीदी थी कि सेवानिवृत्ति के बाद हमारी बेटियां हमारी देखभाल करेंगी। हम धोखेबाजों के शिकार हो गए और हमारी पूरी बचत और मेहनत बर्बाद हो गई।
कमला ने अपनी सारी जमापूंजी लगाकर चांदका इलाके में जमीन खरीदी थी। हालांकि, वह धोखेबाजों की शिकार हो गईं थीं। मामला तब सामने आया जब किसी और ने कमला को जमीन पर कब्जा करने से रोका। इसके बाद उन्होंने पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई तो जांच में पता चला कि सुशीला पटनायक नामक महिला ने संजुक्ता पाणिग्राही के नाम पर कमला को ठगा है। जांच में यह भी पता चला कि महिला जालसाज ने बार-बार अपना नाम बदलकर कई लोगों को धोखा दिया है। महिला और उसके सहयोगी अरूप हलदर की गिरफ्तारी के बाद पूरे रैकेट का भंडाफोड़ हुआ। पुलिस ने अब तक इस रैकेट में शामिल सात लोगों को गिरफ्तार किया है।
इधर, अपराध शाखा के डीसीपी उमाकांत मल्लिक ने कहा कि हमने महिला और उसके सहयोगी अरूप हलदर को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार गिरफ्तार आरोपियों पर विभिन्न थानों में कई मामले लंबित हैं। उन पर ईओडब्ल्यू में जमीन धोखाधड़ी से जुड़े मामले भी चल रहे हैं।
विशेष अपराध शाखा ने पहले खंडगिरि उप रजिस्ट्रार कार्यालय के प्रधान लिपिक संजय षाड़ंगी सहित पांच लोगों को गिरफ्तार किया था। छापेमारी के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, सरकारी मोहरें और मुहरें जब्त की गईं।
डीसीपी मल्लिक ने कहा कि धोखाधड़ी करने वाले लोग फर्जी दस्तावेज बनाकर अलग-अलग पार्टियों को जमीन बेच रहे थे।