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सरपंच के रूप में अपने अधिकार वापस मांगे
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कहा-अगर उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वे सामूहिक रूप से इस्तीफा दे देंगे
भुवनेश्वर। ओडिशा में नौकरशाहों के राज के खिलाफ अब सरपंचों ने मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने अपने अधिकारों की मांगों को लेकर राजधानी भुवनेश्वर में विरोध प्रदर्शन किया तथा धमकी दी कि यदि उनके अधिकार नहीं दिए गए तो आंदोलन स्वरूप सामूहिक रूप से इस्तीफा देंगे।
शुक्रवार को सैकड़ों सरपंचों ने पंचायत विकास कार्यों में सरकारी अधिकारियों, मुख्य रूप से ब्लॉक विकास अधिकारियों (बीडीओ) के अत्यधिक हस्तक्षेप और निर्वाचित प्रतिनिधियों की शक्तियों में बाधा डालने का आरोप लगाया।
उन्होंने सरपंच के रूप में अपने अधिकार वापस मांगे और धमकी दी कि अगर उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वे सामूहिक रूप से इस्तीफा दे देंगे।
सरपंचों ने आरोप लगाया कि ओडिशा में अधिकारी राज केवल शहरों तक ही सीमित नहीं है। यहां मंत्रियों के बजाय नौकरशाहों का बोलबाला है, बल्कि यह ग्रामीण इलाकों में भी फैल गया है। उनके आरोपों के मुताबिक ब्लॉकों में बीडीओ सरपंचों के अधिकारों और शक्तियों में बाधा डाल रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बीडीओ की मंजूरी के बिना सरपंच अपनी पंचायत में एक हैंडपंप की मरम्मत भी नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि बीडीओ राज पंचायतों के विकास में बड़ी बाधा डाल रहा है।
कोविद के समय मिला कलेक्टर का अधिकार
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि कोविद के समय में सरपंचों को कलेक्टर की शक्ति प्रदान की गई थी, लेकिन अब वही सरपंच विकलांग हो गए हैं। इसके अलावा आम ओडिशा नवीन ओडिशा योजना के तहत पंचायतों को वितरित धन को ग्राम सभाओं में चर्चा के बाद नहीं बल्कि बीडीओ की मनमर्जी से मंजूरी दी जा रही है।
पंचायतों का फंड ब्लाक में क्यों?
एक सरपंच पूर्णिमा गुरु ने कहा कि मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने विकास के लिए प्रत्येक पंचायत को 50 लाख रुपये देने की घोषणा की। फिर पैसा ब्लॉक कार्यालयों में चला गया। क्या घोषणा एक दिखावा थी? कथित तौर पर सरपंचों को यह पता नहीं चल पाता कि योजना के तहत उनकी पंचायतों में कौन सी परियोजनाएं स्वीकृत की जा रही हैं।
शक्तियों में भारी कटौती, 22 से धरना
पत्रकारों से बात करते हुए राज्य सरपंच महासंघ के अध्यक्ष रोमांचा साहू ने कहा कि सरपंचों की शक्तियों में भारी कटौती की गई है। हमारे अधिकारों पर कुठाराघात किया गया है। पंचायत में प्रत्येक विकास कार्य के लिए बीडीओ का प्रतिहस्ताक्षर अनिवार्य कर दिया गया है। अगर सरकार हमारी मांगों पर विचार नहीं करती है तो हम 22 सितंबर से विधानसभा के सामने अनिश्चितकालीन धरने पर बैठेंगे।
भत्ता बढ़ाने की मांग
सरपंचों ने न सिर्फ पंचायत कार्यों में बीडीओ काउंटर सिग्नेचर प्रावधान को हटाने की मांग की, बल्कि उन्होंने यह भी कहा कि विधायकों को जहां लाखों रुपये भत्ते के तौर पर मिलते हैं, वहीं सरपंचों को महज 2350 रुपये प्रति माह मिलते हैं। उन्होंने भत्ते में 30,000 रुपये प्रति माह की बढ़ोतरी, स्वास्थ्य बीमा और प्राकृतिक आपदाओं के लिए सरपंच फंड की मांग की।
उन्होंने सरपंचों के मामलों में बीडीओ के हस्तक्षेप को रोककर उनके अधिकारों को बहाल नहीं किए जाने पर ओडिशा विधानसभा के सामने आत्मदाह की भी धमकी दी।
इधर, पंचायतीराज मंत्री प्रदीप अमात ने सरपंचों की मांगों और आरोपों पर कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।