ब्रह्मपुर। गंजाम जिले के रंगेइलुंडा ब्लॉक के विश्वनाथपुर का दीनबंधु साहू कंबोडिया से मुक्त होकर घर लौट आया है। उसके लौटने के बाद परिवार के सदस्यों ने राहत की सांस ली है। बताया जाता है कि साइबर अपराध और धोखाधड़ी में लिप्त कंपनी के लिए काम करने से इनकार करने के बाद दीनबंधु को वहां बंदी बना लिया गया था।
इससे पहले दीनबंधु और उसके परिवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री अमित शाह, धर्मेंद्र प्रधान और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से उनकी सुरक्षित वापसी के लिए उपाय शुरू करने की अपील की थी।
अब वहां से लौटने के बाद दीनबंधु ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि मैंने एक स्थानीय एजेंट से संपर्क किया था और उसने मुझे वियतनाम में एक कंपनी के लिए एक ज्वाइनिंग लेटर सौंपा था। मुझे कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में नौकरी देने के बजाय, उन्होंने मुझे अलग काम दिया। मेरे इनकार करने के बाद उन्होंने मुझे कंबोडिया में 10 दिनों के लिए एक कमरा तक सीमित कर दिया।
दीनबंधु ने बताया कि मुझे करीब 10 से 15 दिनों तक ट्रेनिंग दी गई। बाद में मुझे बताया कि मेरा काम निवेश की तलाश करना है। लोगों द्वारा पैसा जमा करने के बाद आईडी ब्लॉक हो जाती थी। जहां मैं काम कर रहा था, वहां फिलीपींस और भारत में कई लोगों को निशाना बनाने वाला एक घोटाला चल रहा था। सब कुछ लोगों का चयन करके किया जाता था। इसके लिए पहले फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजना और चैट करने से काम शुरू होता था।
दीनबंधु की मां ने कहा कि मेरे बेटे ने एक एजेंट को 1.50 लाख रुपये का भुगतान किया था और कमाने के लिए विदेश में काम करने गया था। हालांकि वह वादे के बजाय किसी अन्य काम में लगा हुआ था। बाद में उसे बंदी बना लिया गया और कंपनी ने उसे मुक्त करने के लिए उससे पैसे की मांग की।
दीनबंधु की पत्नी ने कहा कि एक महीने के बाद हमें पता चला कि मेरे पति को बंधक बना लिया गया है। हम उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित थे, क्योंकि उन्हें रिहा करने के लिए हमसे पैसे की मांग की गई थी।