
विष्णुदत्त दास, पुरी,
भगवान जगन्नाथ जी की परंपरा के अनुसार श्री राम नवमी तिथि के बाद 1 महीने के तक पूरी में सात साही में पारंपारिक साईं यात्रा आयोजित होती आ रही हजारों सालों की यह परंपरा आज सिर्फ नीति में सिमट कर रह गई। भगवान जगन्नाथ जी की नीति के साथ विभिन्न पुरानी किरदार से सुसज्जित युवकों के अपने कला प्रदर्शन करने की परंपरा यहां पर सदैव विद्यमान है।

इसके साथ विभिन्न प्रकार के समर कौशल प्रदर्शन के साथ कसरत दिखाने की परंपरा चलती आ रही है। एक साही से दूसरे साही में इस किरदारों की नृत्य कला को ले जाने की परंपरा अति सुंदर है। इसको देखने के लिए राज्य के विभिन्न स्थानों से श्रद्धालु पुरी में हर साल पहुंचते थे, लेकिन कोरोना की मार ने इन सभी परिस्थिति को बदल दिया है। श्री मंदिर नीति को मानते हुए राम जन्म, भरत, शत्रुघ्न, लक्ष्मण श्री राम चारों भाइयों की नीति संपूर्ण होने के बाद आज नाक कान असुरों का प्रदर्शन कार्यक्रम जगन्नाथ मठ में आयोजित किए गए, लेकिन कोई भी श्रद्धालु देखने के लिए नहीं आया।
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