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पूर्व तट रेलवे के कोचिंग डिपो, लोको शेड व वर्कषॉप में तैयार किया जा रहा है मास्क व एल्कोहल आधारित सैनिटाइजर
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दो अप्रैल तक कुल 24314 मास्क व 430 लीटर सैनिटाइजर का उत्पादन
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बाजार दर के काफी कम लागत पर तैयार हो रहे हैं मास्क व सैनिटाइजर
भुवनेश्वर. कोविद-19 के खिलाफ लड़ाई में पूर्व तट रेलवे ने कई मोर्चों पर चुनौती स्वीकार की है। एक तरफ जहां पूर्व तट रेलवे बिजली कारखानों के लिए कोयला, जनवितरण प्रणाली के लिए अनाज व परिवहन क्षेत्र के लिए पेट्रोल, डीजल आदि पेट्रोलियम उत्पाद की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित कर रहा है, वहीं यह अपने कोचों को क्वारनटाइन/आइसोलेशन सुविधा के लिए तैयार कर रहा है।
अब पूर्व तट रेलवे एक नयी योजना सामने लेकर आया है। कोविद-19 के परिप्रेक्ष्य में मास्क व सैनिटाइजर की बढ़ती मांग को देखते हुए इसने अपने वर्कशाप, लोको शेड व कोचिंग डिपो में इनका उत्पादन कर रहा है।
अपने संसाधनों का उपयोग करते हुए खुर्धा रोड ने भुवनेश्वर व पुरी स्थित कोचिंग डिपो में 700 मास्क का उत्पादन किया है। वहीं अनुगूल स्थित इलेक्ट्रिक लोको शेड में 50 लीटर अल्कोहल आधारित सैनिटाइजर का उत्पादन किया है।
वाल्टियर मण्डल ने अपने संसाधनों का उपयोग करते हुए करीब 20 हजार मास्क का उत्पादन किया है तथा डीजल लोको शेड में 300 लीटर सैनिटाइजर का उत्पादन किया है। संबलपुर मण्डल ने भी इंजीनियरिंग, कामर्शियल व मैकेनिकल विभाग के संसाधनों का उपयोग कर 2414 मास्क तैयार किया व कोचिंग डिपो संबलपुर में 10 लीटर सैनिटाइजर का उत्पादन किया।
भुवनेश्वर स्थित कैरिज रिपेयर वर्कशाप में कुल 1200 मास्क तैयार किया गया व 70 लीटर सैनिटाइजर का उत्पादन किया गया। यहां उल्लेखनीय है कि रेलवे द्वारा अपने संसाधनों का उपयोग कर तैयार किये गये सैनिटाइजर की कीमत बाजार में मिलने वाले सैनिटाइजर के मूल्य का केवल 10 प्रतिशत है।
सैनिटाइजर का उत्पादन डब्ल्यूएचओ के तय मानकों के तहत फॉर्मूले के आधार पर किया जा रहा है। इसमें मुख्य रूप से आइसो प्रोपाइल अल्कोहल, हाइड्रोजन पेरॉक्साइड, ग्लीसरीन व डिस्टिल वाटर का उपयोग किया जाता है। इन मास्क व सैनिटाइजर की आपूर्ति उन रेलकर्मियों को की जाती है, जो इस मुश्किल के समय में भी लगातार अपनी सेवा दे रहे हैं।
पूर्व तट रेलवे कोविद-19 के खिलाफ लड़ाई में अपने संसाधनों का हरसंभव व अधिकतम उपयोग कर रहा है।