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डा सुनीति मुंड ने इनके बच्चों को उच्च शिक्षा तक निःशुल्क पढ़ाई, स्वास्थ्य सेवाएं और प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ देने की मांग की
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भाजपा नेत्री ने निर्मला सीतारमण को सौंपा ज्ञापन
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बच्चे को अपने होम टाउन में ही जीवकोपार्जन का जरिया उपलब्ध कराने को कहा
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वित्त मंत्री ने दिया सकारात्मक कदम उठाने का आश्वासन
भुवनेश्वर। भाजपा नेत्री डा सुनीति मुंड ने मीडिया से जुड़े पत्रकारों-गैरपत्रकारों, साहित्यकारों और अपने देश में रहने वाले आप्रवासी लोगों की समस्याओं को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के समक्ष उठाया है। भुवनेश्वर नगर निगम के लिए भाजपा की प्रत्याशी रहीं सुनीति मुंड इस संदर्भ में एक ज्ञापन वित्त मंत्री को सौंपा है तथा इन तीनों वर्गों के योगदान को देश के विकास में महत्वपूर्ण करार देते हुए इनके लिए विशेष पैकेज की मांग की है। वित्त मंत्री को सौंपे गए ज्ञापन में सुनीति मुंड ने कहा है कि ये तीन वर्ग बौधिक और शारीरिक रूप से सिर्फ और सिर्फ देश को सामाजिक और आर्थिक तौर पर मजबूती प्रदान करते हैं। ये हैं मीडिया जगत से जुड़े पत्रकार-गैरपत्रकार, साहित्यकार और अप्रवासी (जो लोग अपने ही देश में अन्य राज्यों में काम करते हैं)।
मुंड ने कहा है कि इन वर्गों के लोगों की पूंजी निवेश बौधिक और शारीरिक क्षमता है, लेकिन सच यह है कि आज भी यह वर्ग अन्य वर्गों की तुलना में काफी पिछड़े हुआ है। ये लोग स्वाभीमानी होते हैं, इस कारण कभी इस वर्ग ने अपने अधिकारों के लिए न तो कभी देशव्यापी आंदोलन किया और ना तो कहीं धरना प्रदर्शन किया। वित्तीय संकटों से जूझते हुए देश की सेवा में यह अपना पूरा योगदान देते हैं। आपको जानकार आश्चर्य होगा कि मीडिया ही एक ऐसा सेक्टर है, जहां रोज काम समय से पहले पूरा कर लिया जाता है। इतना समर्पित इन पत्रकारों को वित्तीय संकटों से गुजरना पड़ता है। कभी-कभी तो संस्थान काम लेने के बावजूद इन्हें अपना कर्मचारी बताने में हिचकते हैं। मैडम इसलिए आपसे विनम्र निवेदन है कि इनके बच्चों को उच्च शिक्षा तक पढ़ाई और स्वास्थ्य सुविधाएं निःशुल्क मुहैया कराने की कोशिश करें। इसके साथ ही साल में एक बार वित्तीय सहयोग और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इन्हें निःशुल्क मकान उपलब्ध कराने की कोशिश करें।
ठीक इसी प्रकार का सहयोग साहित्य और दूसरे राज्यों में काम करने वाले आप्रावासी लोगों के लिए भी प्रदान करने की कृपा करें। मुंड ने कहा कि मैडम आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यदि कोई व्यक्ति उत्तर प्रदेश, बिहार या अन्य किसी राज्य में जन्म लिया है और वह ओडिशा, पश्चिम बंगाल या किसी अन्य राज्य में होता है, तो उन्हें अपने राज्य की मौलिक योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है। चूंकी इनका स्थायी ठिकाना कर्मक्षेत्र नहीं होने के कारण यह वर्ग अपना आधारकार्ड और वोटर कार्ड भी अपने जन्म स्थल के पते ही बनवाते हैं, ऐसी स्थिति में उस राज्य की सुविधाओं का लाभ भी इन्हें नहीं मिल पाता है, जहां बतौर आप्रवासी काम करते हैं। मैडम ऐसे लोगों की कमाई का सबसे बड़ा हिस्सा घर भाड़ा, बच्चों की पढ़ाई और स्वास्थ्य सेवाओं में खर्च हो जाता है। ऐसी स्थिति में पैसे के आभाव में वे अपने घर-परिवार से कटते जाते हैं, क्योंकि उनसे मिलने जाना भी इनका दूभर होता जाता है। इससे एकलौते बेटे के माता-पिता अकेले रहने के लिए मजबूर होते हैं और उनका देखभाल करने वाला कोई नहीं होता है। ऐसी स्थिति में इस वर्ग के लिए वित्तीय सहयोग की आश्वयकता है और कुछ ऐसी योजनाएं शुरू की जाएं, जिससे एक बच्चे को अपने होम टाउन में ही जीवकोपार्जन का जरिया उपलब्ध हो सके। डा सुनीति मुंड ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस मांग पर सकारात्मक आश्वासन दिया है और कहा कि वह इसे पूरा करने के लिए पूरा प्रयास करेंगी।