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बीएमसी के जुर्मान के फैसले का जोरदार किया विरोध, जाजिया कर और तुगलकी फैसला बताया
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कहा-किसी भी हाल में लोगों पर थोपा जाने वाला जुर्माना स्वीकार नहीं
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भुवनेश्वर नगर निगम जनता को नहीं, मच्छर को मारे
भुवनेश्वर। भाजपा नेत्री सुनीति मुंड ने आज भुवनेश्वर नगर निगम के उस फैसले का जोरदार विरोध किया है, जिसमें डेंगू मच्छरों के स्रोत पाए जाने के हालात में जुर्माना ठोंकने की बात कही गई है। मेयर पद की उम्मीदवार रहीं सुनीति मुंड ने कहा कि भुवनेश्वर नगर निगम के अपनी नाकामी छुपाने के लिए लोगों पर जुर्माना थोपने का फैसला लिया है। यह निर्णय जाजिया कर और तुगलकी फैसले की तरह है। मुंड ने कहा कि इस तरह के जुर्माने सिर्फ ओडिशा में ही थोपे जा सकते हैं।
नगर निगम पर हमला बोलते हुए मुंड ने कहा कि इस जजिया कर से सालभर पहले निगम ने एक तुगलक की फैसले के तहत मच्छरों को मारने के लिए ड्रोन को उड़ाया था। अब मेयर ने इसे फिर से उड़ाने की घोषणा की है। मुंड ने तंज कसते हुए कहा मेयर को यह बताना चाहिए कि उस दौरान ड्रोन ने कितने मच्छरों की पहचान की और कितनों को मारा गया। साथ ही उन्होंने पूछा कि इस बार ड्रोन उड़ाकर कितने डेंगू मच्छरों को मारने का लक्ष्य रखा गया है। मुंड ने कहा कि अगर उनका ड्रोन उड़ाने फैसला सही था, तो आज भुवनेश्वर नगर निगम के क्षेत्र में डेंगू की स्थिति इतनी बेकाबू क्यों हुई है।
मुंड ने आरोप लगाया कि जनता का पैसा दरिया में डाल वाली कहावत की तरह ड्रोन उड़ाने में पैसे खर्च किए गए और किए जाएंगे। इसलिए मुंड ने कहा कि पहले मच्छर को मारने के लिए ड्रोन उड़ाया था, अब डेंगू को मारने के लिए राफेल उड़ाइए। उन्होंने कहा कि मेयर को इतना पता नहीं कि सफाई के अभाव और नालों की सफाई नहीं होने से डेंगू के मच्छर पनप रहे हैं, तो नगर निगम जनता के सिर पर अपना नाकामी का ठीकरा फोड़ने पर जुटा है।
सुनीति मुंड ने साफ तौर पर चेताया कि अगर एक भी व्यक्ति, या परिवार, या किसी व्यवसायिक प्रतिष्ठान या संस्थान से जुर्माना वसूला गया, तो नगर निगम को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। भारतीय जनता पार्टी नगर निगम के इस फैसले के खिलाफ जोरदार आंदोलन शुरू करेगी। साथ ही उन्होंने कहा कि मेयर सुलोचना दास को अपनी नाकामी को स्वीकार करना चाहिए, क्योंकि नगर निगम को यह पता नहीं है कि ड्रोन उड़ाने से मच्छरों को नहीं मारा जा सकता, बल्कि मच्छरों को मारने के लिए नालों की नियमित सफाई जरूरी होती है। मच्छर किसी घर में नहीं पैदा होते हैं, बल्कि नालों से उड़कर घरों में जाते हैं।