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कछुए चाल चल रहा आईजर ब्रह्मपुर का निर्माण कार्य

  • जून 2019 से अब तक महज 70 फीसदी पूरी हुई परियोजना

  • वेतन समय पर नहीं मिलने से मजदूर और छोटे ठेकादार हो रहे परेशान

  •  कहीं फिर न शुरू हो जाए हड़ताल

शिवराम चौधरी, ब्रह्मपुर।

गंजाम जिले के ब्रह्मपुर के लाउड़ी गांव में भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईजर) परियोजना का निर्माण कार्य कछुए की चाल चल रहा है। 790 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना के तहत निर्माण काम जून 2019 में शुरू हुआ था और मार्च 2022 में पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। हालांकि इस बीच कोरोना महामारी के पहले चरण में काम लगभग छह महीने तक बाधित रहा। इसके बाद फिर काम शुरू हुआ, लेकिन निर्माण की काम की तेजी ऐसी रही कि अब तक महज 70 फीसदी ही काम पूरा हो पाया है और 30 फीसदी काम बाकी है।

1.5 साल का और समय लगेगा

बताया जाता है कि यदि नियमित और तेजी से काम किया गया तो इसको पूरा होने में लगभग 1.5 साल का और समय लगेगा, लेकिन हालात यह कि वेतन को लेकर मजदूरों और अन्य छोटे ठेकेदारों को हड़ताल पर उतरना पड़ जा रहा है। कुछ दिनों पहले वेतन नहीं मिलने के कारण मजदूरों और अन्य छोटे ठेकादारों ने काम कर दिया था। इस कारण परियोजना का काम पूरी तरह से ठप पड़ गया था।

वेतन को लेकर फिर गुस्सा पनपने लगा

बताया गया है कि इस परियोजना के निर्माण का काम टेंडर एनकेजी कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड कर रही है। यह कंपनी दिल्ली आधारित है। बीते दिनों मजदूरों की हड़ताल को खत्म करने के लिए इस परियोजना की निगरानी कर रही सीपीडब्ल्यू को हस्तक्षेप करना पड़ा था। सीपीडब्ल्यू ने एनकेजी कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के अधिकारियों, काम में लगे छोटे ठेकेदारों और मजदूरों की बैठक कराकर काम शुरू कराया। इस दौरान तय हुआ कि वेतन समय पर दिया जाएगा, लेकिन इस बीच खबर है कि फिर मजदूरों के बीच वेतन को लेकर गुस्सा पनपने लगा है। खबर है कि कुछ मजदूरों का बकाया पूरा वेतन आज तक नहीं दिया गया है।

सीपीडब्ल्यू के अधिकारियों की नहीं सुनी जाती

अंदरखाने में यह भी चर्चा सुनने में आई है कि अब तक सीपीडब्ल्यू के अधिकारियों की बातें भी वहां कंपनी के कार्यरत अभियंता नहीं सुनते हैं। खबर है कि इन हालातों के बीच सीपीडब्ल्यू के कोलकाता जोन के स्पेशल डायरेक्टर जनरल (वर्क्स) अजय गुप्ता 10 अगस्त को समीक्षा करने आ रहे हैं।

चाहरदीवारी पूरी नहीं, सुरक्षा को लेकर सवाल

बताया जाता है कि यहां बीते डेढ़ साल से कक्षाएं शुरू हो गई हैं, लेकिन यहां चाहरदीवारी का काम अभी भी चल रहा है। ऐसी स्थिति में कैंपस में सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं।

दिसंबर 2022 में काम पूरा करने का निर्देश

उल्लेखनीय है कि 10 जुलाई 2022 को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने यहां छात्रावास का उद्घाटन किया था। इस दौरान आयोजित उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए प्रधान ने

परियोजना के पूरे काम को दिसंबर 2022 तक पूरा करने का निर्देश दिया था। इसके बावजूद निर्माण कार्य कछुए की चाल की गति से चल रहा है।

बाहरी कंपनी को ठेका देने पर उठे सवाल

स्थानीय लोगों और बुद्धिजीवियों ने ठेके की प्रणाली को लेकर भी सवालिया निशान उठाया है। ठेके की पूरी प्रणाली सवालों के घेरे में खड़ी की गई है। बुद्धिजीवियों का कहना है कि यह दुर्भाग्य की बात होती है कि ठेके किसी बाहरी कपंनी को दिया जाता है, जिसका स्थानीय स्तर पर कोई पकड़ नहीं होती है। ऐसी स्थिति में ठेका हासिल करने वाली फिर स्थानीय ठेकेदारों को ही तलाशती है और अपने कार्यालय में बैठकर बिल इधर से उधर करती रहती है। आखिकार काम तो स्थानीय ठेकेदारों को ही करना पड़ता है, लेकिन सरकार को यह बातें कब समझ में आएगी, सोचने की बात है। मजदूर भी ज्यादातर स्थानीय और आसपास के क्षेत्रों से होते हैं। ऐसी स्थिति में कोई भी ठेका बाहरी कंपनी को देने का क्या मतलब है।

स्थानीय प्रशासन भी जवाबविहीन

इस बहुप्रतिक्षित परियोजना की धीमी गति को लेकर जिला प्रशासन भी जवाबविहीन दिख रहा है, क्योंकि उसे जो करना था, प्रशासन उसे पूरा कर चुका है। अब काम की गति को लेकर प्रशासनिक अधिकारी कुछ भी स्पष्ट नहीं कह पा रहे हैं। प्रशासनिक सूत्रों ने कहा कि उनका काम सहयोग करना था, जमीन उपलब्ध करानी थी, जिसे किया जा चुका है। अब पूरा काम ठेकेदार कंपनी के जिम्मे है। ऐसी स्थिति में कंपनी को ही विलंब होने के कारणों को बताना चाहिए।

लोगों में पनप रहा है गुस्सा

परियोजना का काम धीमा होने से लोगों में गुस्सा पनपने लगा है। लोगों को उम्मीद थी कि परियोजना के पूरा होने के बाद क्षेत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर सृजित होंगे। शुरू-शुरू में लोगों में खुशी छायी थी और उन्होंने भरपूर सहयोग किया, लेकिन अब उनका धैर्य टूटने लगा है।

काम की गुणवत्ता पर भी उठ चुके हैं सवाल

यहां परियोजना के तहत हो रहे काम की गुणवत्ता को लेकर सवालिया निशान लग चुके हैं। एक बार इसकी शिकायत विजिलेंस के पास शिकायत की गई थी। विजिलेंस की टीम ने यहां आकर जांच भी की, लेकिन उसके बाद क्या हुआ, किसी को पता नहीं चल पाया है।

इस परियोजना के तहत हॉस्टल, चाहरदीवारी, क्लास रूम, ऑडिटोरियम, कैंटिन, प्ले ग्राउंड, गार्डेन और अन्य संबंधित कार्यालय के कैंपस आदि बनाए जाने हैं।

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