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अहमदिया मुस्लिम समुदाय को मुस्लिम घोषित करने पर छाई खुशी

  •  मौलाना फजल हक खान ने केंद्र सरकार का जताया आभार

कटक। अहमदीया मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधि मौलाना फ़जल हक खान ने कहा कि प्रत्येक मनुष्य का यह मौलिक अधिकार है कि वह जिस भी धर्म का पालन करना चाहे कर सकता है और कोई भी संगठन या संस्था उसे इस मौलिक अधिकार से वंचित नहीं कर सकता हैं। अहमदिया मुस्लिम समुदाय भारत अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय का आभार जताते हुए कहा है कि उसने समुदाय के अनुरोध पर तत्काल कार्रवाही करते हुए समुदाय को गैर-मुस्लिम घोषित करने के फैसले को अवैध और असंवैधानिक घोषित किया।

भारत के एक प्रांत में वक्फ बोर्ड की ओर से एक मुस्लिम संगठन द्वारा जारी फतवे के आधार पर अहमदिया मुस्लिम समुदाय को गैर-मुस्लिम घोषित किया गया था। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने इस संबंध में कार्रवाई की है और अहमदियों के खिलाफ इस फैसले को अवैध और असंवैधानिक घोषित किया है, जिसके लिए अहमदिया मुस्लिम समुदाय भारत, मंत्रालय का हृदय से आभारी हैं।

हमारा देश भारत एक लोकतांत्रिक देश है और इस देश की खूबी यह है कि यहां विभिन्न मतों और विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग आपसी प्रेम और भाईचारे के साथ रहते हैं। और भारत के संविधान के अनुसार, हर इंसान को यह अधिकार है कि वह अपने आप को जिस धर्म में चाहे रख सकता है। इसके बावजूद कुछ मुस्लिम संगठनों और वक्फ बोर्ड द्वारा अहमदिया मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों को छीनने की कार्रवाई की जाती है।

यह सीधे तौर पर देश के शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ने और अहमदिया मुस्लिम समुदाय के खिलाफ लोगों को उकसाने और भड़काने का एक प्रयास है।

अहमदिया समुदाय के अनुसार ‘मुसलमान’ की वही परिभाषा स्वीकार्य एवं व्यावहारिक है जो निश्चित रूप से पवित्र कुरान द्वारा प्रमाणित हो तथा पैगम्बर-ए-इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम द्वारा वर्णित हो और खलीफाओं के समय में उसका अनुपालन सिद्ध हो।

भारत सरकार द्वारा 2011 ई की जनगणना रिपोर्ट में, अहमदिया मुस्लिम समुदाय को इस्लाम के एक फिरके के रूप में मान्यता मिली हुई है। अहमदिया मुस्लिम समुदाय को गैर मुस्लिम घोषित करने का अधिकार किसी को नहीं है। यह एक गैरकानूनी और अधार्मिक कृत्य है और समुदाय के लोगों का सामाजिक बहिष्कार करने के किसी को उकसाना, देश के लोगों की एकता को तोड़ने और देश के शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ने के समान है।

अहमदियों के सामाजिक बहिष्कार के संबंध में सार्वजनिक प्रेस विज्ञप्ति जारी करना देश में नफरत फैलाने और फ़ितना-फसाद पैदा करने और भारतीयों की एकता को तोड़ने का कारण बन सकता है, जिसे रोकने के लिए सरकार ने तत्काल कदम उठाए हैं ताकि ऐसे शान्तिभंग करने वाले कार्य को आरंभ में ही रोका जा सके। जमात अहमदिया इसके लिए सरकार की बहुत आभारी है।

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