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पुरी श्रीमंदिर में महाप्रभु की ठप पड़ी श्रृंगार नीति पर नहीं बनी बात

  • गतिरोध की समीक्षा और समाधान के लिए नीति उपसमिति की विशेष बैठक विफल

  • श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंध समिति की बैठक पर टिकी निगाहें

इण्डो एशियन टाइम्स, पुरी।

रथयात्रा के दौरान नीलाद्रि विजे के दिन से ही महाप्रभु श्री जगन्नाथ, देव बलभद्र और देवी सुभद्रा की बाधित श्रृंगार नीति पर आज आयोजित नीति उपसमिति की बैठक में कोई बात नहीं बनी। बैठक बिना किसी निष्कर्ष के ही समाप्त हो गई। पुरी में श्रृंगार नीति (बनकलागी) नीति को चल रहे गतिरोध की समीक्षा और समाधान के लिए शुक्रवार को यहां नीति उपसमिति की एक विशेष बैठक आयोजित की गई थी।

श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक रंजन कुमार दास ने मीडिया को बताया कि उन्हें उम्मीद है कि इस नीति को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया जाएगा, जो वार्षिक रथयात्रा के बाद भगवान के नीलाद्रि बिजे के बाद से नहीं की गई है।

यह लगातार तीसरा सप्ताह था, जब श्रीमंदिर में साप्ताहिक अनुष्ठान में हस्तक्षेप किया गया था। एसजेटीए की इच्छा है कि यह नीति बुधवार को की जाए, जबकि दत्तामहापात्र सेवायत की इच्छा है कि यह नीति गुरुवार को की जाए।

एसजेटीए के मुख्य प्रशासक रंजन कुमार दास ने कहा कि बैठक में इस विषय पर गहन चर्चा हुई और हमने इस पर कई राय सुनीं। चूंकि मंदिर संचालन समिति सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है, इसलिए इन्हें 1 अगस्त को इसकी बैठक के दौरान प्रस्तुत किया जाएगा।

दास ने कहा कि हम कानूनों और अधिकारों के रिकॉर्ड का हवाला देकर उन्हें समझाने का प्रयास कर रहे हैं। इस अनुष्ठान में इस हस्तक्षेप को समाप्त करने के लिए हम अभी भी चर्चा के लिए तैयार हैं और आशा करते हैं कि सेवायत प्रशासन के साथ सहयोग करेंगे।

उन्होंने दावा किया कि अब तक पेश किए गए औचित्य और अधिकारों के रिकॉर्ड बुधवार को नीति आयोजित करने का समर्थन करते हैं। यदि एकादशी या अन्य नीतियां बुधवार को पड़ती हैं, तो उन्हें गुरुवार को स्थानांतरित किया जा सकता है। हालांकि, उन्होंने जोर दिया कि मंदिर प्रबंधन को भी यह निर्णय लेना होगा।

इधर, संगठन के अध्यक्ष दत्तामहापात्र नियोग मदन दत्तामहापात्र के अनुसार, मंदिर के अधिकारियों ने गुरुवार को सेवायतों को नीति करने से रोक दिया था। इसके बजाय प्रशासन ने अनुरोध किया कि वे बुधवार को इस नीति आयोजित करें, जैसा कि 2018 से होता आ रहा है। रिकॉर्ड और रीति-रिवाजों के अनुसार, बनकलागी नीति बुधवार या गुरुवार को की जा सकती है।

हालांकि उम्मीद जताई गई थी कि आज नीति उपसमिति की बैठक में अनुष्ठान को लेकर कुछ सकारात्मक परिणाम निकलेगा, लेकिन बैठक बिना किसी सहमति के ख़त्म हो गई। अब लोगों की निगाहें एक अगस्त को होनेवाली प्रबंधन समिति की बैठक पर टिकी है। इस संबंध में श्रीमंदिर प्रबंधन समिति के सदस्य अशोक महापात्र ने कहा कि मैं यह नहीं कह सकता कि आने वाले बुधवार को गतिरोध खत्म होगा या नहीं। इस पर निर्णय लेना उपसमिति के अधिकार से बाहर है। इसलिए अंतिम निर्णय प्रबंध समिति की बैठक में लिया जाएगा।

दूसरी ओर, दत्तामहापात्र नियोग सचिव ने कहा कि यदि प्रबंध समिति निर्णय लेती है तो हम बुधवार को अनुष्ठान आयोजित करने के लिए तैयार हैं, लेकिन हम चाहते हैं कि अनुष्ठान गुरुवार को भी आयोजित किया जाना चाहिए। हम मंदिर प्रशासन से हमारे साथ चर्चा करने का अनुरोध करते हैं।

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