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ब्राह्मण लेता ही नहीं है दान देता भी है, दधिचि मुनि हैं सबसे बड़े उदाहरण : डा मुरली मनोहर शर्मा

  • विप्र फाउंडेशन का दो दिवसीय प्रांतीय अधिवेशन एवं कार्यकारिणी बैठक

  • ब्राह्मण समाज को संगठित करने पर जोर

  • बदलनी होगी ब्राह्मण के दान नहीं देने की सामाजिक अवधारणा: शर्मा

इण्डो एशियन टाइम्स, पुरी।

विप्र फाउंडेशन का दो दिवसीय प्रांतीय अधिवेशन एवं कार्यकारिणी बैठक पुरी जगन्नाथ धाम में आयोजित किया गया, जिसमें राज्य के कोने-कोने से विप्र फाउंडेशन के प्रांतीय कार्यकारिणी सदस्य, स्थानीय चैप्टरों के पदाधिकारी, महिला प्रकोष्ठ की पदाधिकारी बड़ी संख्या में शामिल हुए। अधिवेशन में वर्तमान कार्य प्रणाली एवं भविष्य की योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की गई।

प्रांतीय अध्यक्ष रामवतार शर्मा ने कहा कि कार्यकारिणी बैठक में पहले दिन प्रांतीय टीम और प्रांतीय महिला प्रकोष्ठ पदाधिकारी बैठक, प्रांतीय एवं सभी चैप्टर्स पदाधिकारी (सह महिला प्रकोष्ठ) बैठक के साथ राष्ट्रीय संगठन मंत्री सीए सुनील शर्मा एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व प्रांतीय प्रभारी कचरू प्रसाद शर्मा के साथ सभी कार्यकर्ताओं की कार्यशाला आयोजित की गई। इसके साथ ही संगीतमयी सांस्कृतिक संध्या एवं मनोरंजक कार्यक्रम प्रांतीय उपाध्यक्ष दिनेश जी जोशी के संयोजन में आयोजित हुए। उन्होंने कहा कि अधिवेशन के दूसरे दिन राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुनील शर्मा, प्रांतीय प्रभारी कचरू प्रसाद, राष्ट्रीय महिला प्रकोष्ठ प्रभारी सोनाली के साथ सभी विप्रबन्धु जगन्नाथ जी के सामूहिक दर्शन किए।

प्रांतीय अधिवेशन में भाग लेते हुए राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य डा. मुरली मनोहर शर्मा ने अपने सम्बोधन में पूरे ब्राह्मण समाज को एकजुट रहने के साथ ही ब्राह्मण समाज किस प्रकार से संगठित हो एवं समाज के विकास में क्या योगदान है विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बिप्र फाउंडेशन पूरे ब्राह्मण समाज को लेकर है। इसमें खंडेलवाल, गौड़, पारीख, दधिचि, ब्रह्मण सभी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि अधिवेशन के जरिए अनेकता में एकता का संदेश देने का प्रयास किया गया। ब्राह्मण समाज एक हो इसका आह्वान किया गया। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जिस प्रकार से हमारे देश की सेना युद्ध की घड़ी एकजुटता का परिचय देती है, क्योंकि उनका एकमात्र उद्देश्य मातृभूमि की रक्षा होती है। उसी तरह से पूरे ब्राह्मण समाज को भी एकजुट होना चाहिए। एकजुट नहीं होने से धीरे-धीरे हम लोग टूट जाएंगे। उन्होंने शायराने अंदाज में कहा कि किस्ती अगर तूफान में हो तो साहिल की तमन्ना है मगर किश्ती में ही तूफान हो तो साहिल की क्या तमन्ना है। अर्थात किश्ती अगर तूफान में हो तो हम लड़कर किनारे तक पहुंच सकते हैं, मगर किश्ती के अंदर ही तूफान आ जाए तो किनारे नहीं पहुंच सकते। इसका मुख्य उद्देश्य है हम सबको एकजुट होना होगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ब्राह्मण दान नहीं देते हैं कि जो अवधारणा बनी हुई है, उसे हमें बदलना होगा। क्योंकि हमें अपने बच्चों एवं पूरे समाज को यह संदेश देना होगा ब्राह्मण लेता ही नहीं है दान देता भी है, जिसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं दधिचि मुनि हैं।

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