-
अब तक कुल 53 मानद डॉक्टरेट की डिग्री पानेवाले प्रो अच्युत सामंत बने भारत के प्रथम शिक्षाविद्
-
कीर्तिमान सम्मान ग्रहण करने से पूर्व प्रो अच्युत सामंत ने जगतगुरु शंकराचार्य का लिया दिव्य आशीर्वाद
इण्डो एशियन टाइम्स, भुवनेश्वर।
श्री जगन्नाथ संस्कृत विश्वविद्यालय, श्रीविहार,पुरी ने हर्षोल्लास के साथ अपना 9वां दीक्षांत समारोह आयोजित किया। इसमें समारोह के मुख्य अतिथि तथा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति ओडिशा के मान्यवर राज्यपाल प्रो. गणेशीलाल ने आमंत्रित सम्मानित अतिथि कीट-कीस के प्राणप्रतिष्ठाता तथा कंधमाल लोकसभा सांसद प्रो.अच्युत सामंत को श्री जगन्नाथ संस्कृत विश्वविद्यालय, पुरी की ओर से पहली बार मानद डॉक्टरेट की डिग्री ‘प्रज्ञा वाचस्पति’ प्रदान कर उन्हें सम्मानित किया। कीर्तिमान सम्मान ग्रहण करने से पूर्व प्रो अच्युत सामंत ने पुरी गोवर्द्धन मठ जाकर पुरी के जगतगुरु शंकराचार्य परमपाद स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाभाग का दिव्य आशीर्वाद लिया। अबतक कुल 53 मानद डॉक्टरेट की डिग्री पानेवाले प्रो अच्युत सामंत भारत के प्रथम महान शिक्षाविद् बन गये हैं।
गौरतलब है कि प्रो अच्युत सामंत को शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए यह मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की गई। इस मौके पर समारोह की मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित प्रख्यात ओडिया लेखिका एवं शिक्षाविद् डॉ. प्रतिभा राय ने सामंत जी को मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किये जाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए अपने संबोधन में यह कहा कि प्रो अच्युत सामंत द्वारा शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में किये जा रहे असाधारण कार्यों के लिए हर विश्वविद्यालय से उन्हें मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया जाना चाहिए। यह मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्रो.अच्युत सामंत की कुल 53वीं डॉक्टरेट उपाधि है।
अपने आभार प्रदर्शन में प्रो अच्युत सामंत ने इस सम्मान के लिए जगन्नाथ संस्कृत विश्वविद्यालय के समस्त अधिकारियों, विश्वविद्यालय के संकाय-सदस्यों और उसकी शिक्षा-परिषद के प्रति आभार व्यक्त किया। प्रो सामंत ने कहा कि पुरी में अपनी शैक्षिक यात्रा शुरू करना और यहां से मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करना बडे ही सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा कि इससे उन्हें समाज के लिए और अधिक ऊर्जा के साथ काम करने की प्रेरणा मिलेगी।दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रवीन्द्र कुमार पण्डा और कुलसचिव श्रीमती सुमित्रा पटनायक आदि मंचासीन थे।