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रेंगाली विस्थापितों को घोषित मुआवजा व स्थायी पट्टा प्रदान देने की मांग

  • गांव को राजस्व ग्राम की मान्यता दी जाए

  • केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को पत्र लिखा

इण्डो एशियन टाइम्स, भुवनेश्वर।

रेंगाली नदीबांध योजना में विस्थापित होने वाले लोगों के लिए राज्य सरकार द्वारा पूर्व में घोषित मुआवजा राशि प्रदान की जाए। साथ ही विस्थापितों को स्थायी पट्टा प्रदान करने के साथ-साथ उनके गांव को राजस्व गांव की मान्यता प्रदान किया जाए। केन्द्रीय शिक्षा, कौशल विकास व उद्यमिता मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को पत्र लिख कर उपरोक्त मांगें की हैं।

प्रधान ने कहा कि 1980 के दशक में ब्राह्मणी नदी पर निर्मित रेंगाली नदी बांध योजना ओडिशा की दूसरी सबसे बड़ी नदी बांध योजना है। इस योजना से राज्य की सिंचाई व बिजली उत्पादन क्षमता काफी बढ़ी है, लेकिन इस विकास के साथ इस योजना ने अनेक दुःख भी दिया है। इस योजना के कारण अपने घर बार खोकर विस्थापित होने वाले लोगों का वर्तमान का चित्र हमें विचलित करता है।

प्रधान ने अपने पत्र में कहा है कि साल 1978 से 1984 तक इस योजना में कुल 236 राजस्व गांवों के 13 हजार परिवारों को अपनी मिट्टी, घर बार छोड़नी पड़ी। उनका सही पुवर्नास न होना तथा मुआवजा न दिये जाने के कारण इन परिवारों की स्थिति दयनीय हो गयी। लगातार धरना, अनशन प्रतिवाद के बाद भी स्थिति में किसी प्रकार की सुधार नहीं है। गत 2021 सितंबर माह में मुख्यमंत्री के निर्देश के अनुसार विस्थापितों को मुआवजा के बाबत 152 करोड़ रुपये देने का आकलन किया गया था, लेकिन दुर्भाग्य का विषय है कि यह राशि आज तक नहीं दी गई है।

 

साथ ही प्रधान ने अपने पत्र में विस्थापित होने वाले लोगों को स्थायी पट्टा प्रदान करने तथा उनके गांवों को राजस्व गांवों की मान्यता प्रदान करने को लेकर मुख्यमंत्री से व्यक्तिगत हस्तक्षेप का अनुरोध किया है।

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