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बीजद में शुरू हुआ नौकरशाही नियंत्रण का विरोध, महासचिव श्याम प्रसाद ने पार्टी छोड़ी

  • पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया

इण्डो एशियन टाइम्स, भुवनेश्वर।

विपक्ष के लगातार हमले के बाद बीजू जनता दल (बीजद) में नौकरशाही नियंत्रण को लेकर विरोध शुरू हो गया है। बीजद के महासचिव श्याम प्रसाद बेहरा ने पार्टी पर नौकरशाही नियंत्रण और बस्ता विधानसभा क्षेत्र की उपेक्षा के विरोध में पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।

बस्ता से चुनाव लड़ने के लिए भाजपा द्वारा टिकट से इनकार किए जाने के बाद वह साल 2019 में चुनाव से पहले सत्तारूढ़ दल में शामिल हो गए थे। जुलाई 2020 में उन्हें बीजद का महासचिव नामित किया गया था।

बीजद अध्यक्ष नवीन पटनायक को लिखे अपने पत्र में बेहरा ने पार्टी में एक आईएएस अधिकारी, 5-टी सचिव वीके पांडियन द्वारा चलाए जा रहे “असाधारण प्रभाव” पर नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने लिखा है कि विधायक और मंत्री, जिन्हें लोगों ने राज्य चलाने के लिए चुना है, उन्हें एक नौकरशाह के सामने हाथ जोड़े खड़े देखा जा रहा है। उन्हें पीछे धकेल दिया गया है और कुर्सियों की व्यवस्था करने तथा कालीन बिछाने का काम सौंपा गया है।

उन्होंने यह भी सवाल किया कि एक नौकरशाह मुख्यमंत्री और उनके पिता दिवंगत बीजू पटनायक का प्रतिनिधित्व कैसे कर सकता है, जिनके पास बहुत स्वाभिमान था और जो राज्य के लोगों के साथ सीधे बातचीत करने में विश्वास करते थे।

लोकतंत्र में आस्था रखते हुए बेहरा ने कहा कि वह इस अपमान को सहन करने में असमर्थ हैं। उन्होंने आगे अपने विधानसभा क्षेत्र में विकास की कमी का भी जिक्र किया। उन्होंने लिखाहै कि विडंबना यह है कि आजादी के 75 साल बाद भी बस्ता सदर महकमा में कोई कॉलेज नहीं है। कोणार्क पेपर मिल और बलियापाल मिल बंद होने से हजारों लोग बेरोजगार हो गए हैं। रोजगार के अवसरों के अभाव में बस्ता-बलियापाल के युवा काम की तलाश में पड़ोसी राज्यों में पलायन करने को मजबूर हैं। बलियापाल में कोई कोल्ड स्टोरेज नहीं है और जूट किसान सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य पर अपनी उपज बेचने में असमर्थ हैं। उन्होंने लिखा है कि इन मुद्दों पर विचार करते हुए मैं बीजद में बने रहना नहीं चाहूंगा।

5-टी सचिव पिछले कुछ हफ्तों से विपक्षी दलों के निशाने पर हैं। विपक्षी राजनीतिक दल विभिन्न जिलों में उनके तूफानी दौरों और पैकेजों की घोषणा की आलोचना कर रहे हैं।

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