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प्रतिपक्ष के नेता प्रदीप्त नायक ने अटलजी को उद्धृत किया
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कहा-बहुमत से सरकार चलायी जा सकती है, सदन नहीं
भुवनेश्वर – विपक्ष के नेता प्रदीप्त नायक को सदन में बोलने की अनुमति न देने के मामले में विधानसभा अध्यक्ष सूर्य नारायण पात्र ने मंगलवार को खेद व्यक्त किया । प्रश्नकाल का कार्यक्रम समाप्त होने के बाद विधानसभा अध्यक्ष सूर्य नारायण पात्र ने कहा कि प्रतिपक्ष के नेता को बोलने न देना उनका कोई उद्देश्य नहीं था। उन्होंने कहा कि सोमवार को विधानसभा के तय कार्यक्रम समाप्त होने से कुछ समय पूर्व विपक्ष के नेता व विपक्षी विधायक सदन में आये थे। विपक्ष के नेता प्रदीप्त नायक ने प्वाइंट आफ आर्डर के जरिये कुछ कहना चाहा था। उन्हें बोलने के लिए अनुमति दी गई थी, लेकिन उन्होंने जो बोला उसका मनोस्थिति में समझ नहीं पाया और कहा था कि इस बारे में पहले भी चर्चा हो चुकी है। इसके बाद मैंने सदन को स्थगित कर दिया था, लेकिन उनके वक्तब्य को बंद करने का मेरी कोई मंशा नहीं थी। उल्लेखनीय है कि स्मितारानी मामले में न बोलने दिये जाने का आरोप लगा कर मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा के विधायकों ने दो दिन तक विधानसभा परिसर में गांधीजी की मूर्ति के सामने धरना दिया था और बाद में राज्यपाल से भी इस संबंध में ज्ञापन दिया था। इसके बाद भाजपा विधायक जब सदन में लौटे और प्रतिपक्ष के नेता प्रदीप्त नायक जब बोलना चाहा तो विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें कहा कि इस बारे में चर्चा हो चुकी है। इसके बाद विपक्ष के नेता ने कहा था कि मंगलवार से सदन को चलने नहीं दी जाएगी।
प्रतिपक्ष के नेता प्रदीप्त नायक ने अटलजी को उद्धृत किया, कहा-बहुमत से सरकार चलायी जा सकती है, सदन नहीं
प्रतिपक्ष के नेता प्रदीप्त नायक ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को अपने पद की गरिमा की रक्षा करनी चाहिए। उन्हें निष्पक्ष होकर सत्ता पक्ष व विपक्ष दोनों को बोलने का अवसर देना चाहिए । श्री नायक ने शून्यकाल में कहा कि अटल बिहारी बाजपेयी जब विपक्ष में थे और जब उन्हें बोलने के लिए नहीं दिया गया था, तब उन्होंने कहा था कि संख्या बल के आधार पर तो सरकार चलायी जा सकती है, लेकिन सदन नहीं चलायी जा सकती । संख्या बल होते हुए भी सदन चलाने के लिए विपक्ष की बातों को सुनना पड़ेगा । लोकतंत्र का तकाजा यही है कि अल्पमत को भी सुना जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में तो स्थिति ऐसी हो रही है कि बोलने मात्र से ही सदन को स्थगित कर दिया जा रहा है । विपक्ष गांधी जी की मूर्ति के नीचे प्रतिवाद कर रही है, इधर विधानसभा अध्यक्ष सदन को चला रहे हैं । इससे प्रदेश की जनता में हम क्या संदेश दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष कहेंगे कि वह प्रतिपक्ष के नेता को देख नहीं पाये। यह क्या संभव है प्रतिपक्ष के नेता कुछ कहने की कोशिश कर रहा हो और विधानसभा अध्यक्ष सदन को स्थगित कर दें, ऐसा कभी विधानसभा के इतिहास में हुआ है। नायक ने कहा कि 1995 से वह विधानसभा को देखते आ रहे हैं । उससे पुराने विधायक भी यहां हैं बीजद व कांग्रेस में । वे बतायें कभी ऐसा हुआ है जब प्रतिपक्ष के नेता बोलते समय विधानसभा अध्यक्ष सदन को स्थगित कर दें । वर्तमान में ऐसा प्रतीत हो रहा है कि विधानसभा का चेयर सरकार को बचाने में लगी है। लोगों से चुनकर विधानसभा में पहुंचने वाले प्रत्येक विधायक को अपनी बात कहने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि एक महिला कर्मचारी जिसकी एक छोटा बच्चा है, हत्या कर दी जाएगी और पुलिस इसे आत्महत्या बतायेगी तथा मृतक महिला का चरित्र हनन करने में लगेगी। इस मामले में विपक्ष चुप्प बैठेगी यह संभव नहीं है। हमें अवसर मिले या न मिले हम इस मुद्दे को बार बार उठायेंगे।