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प्रभु श्रीराम के चरित्र से शिक्षा लेने के लिए रामानंद सागर का रामायण का हो पुनः प्रसारण
भुवनेश्वर। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र व रामायण से सदियों से भारत के लोग प्रेरणा व शिक्षा लेते रहे हैं, लेकिन रामायण की कहानी पर बनाये जाने वाली फिल्म आदि पुरुष में जिस ढंग से चरित्रों को दर्शाया गया है तथा संवाद में जिस भाषा प्रयोग की गई है, वह कतई स्वीकार्य नहीं है। इस फिल्म को सेंसर बोर्ड ने कैसे अनुमोदन दिया, यह सवाल खड़ा होता है। विश्व हिन्दू परिषद के क्षेत्रीय मंत्री गौरी प्रसाद रथ ने इस फिल्म पर आपत्ति व्यक्त करने के साथ-साथ श्रीराम के चरित्र से समाज को शिक्षा प्रदान करने के लिए रामानंद सागर की रामायण धारावाहिक का पुनः प्रसारण करने की मांग की है।
रथ ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जी का चरित्र व रामायण प्रत्येक भारतीय के लिए आदर्श रहा है। सदियों से भारतीय रामायण व श्रीराम से शिक्षा लेते रहे हैं। प्रभु श्रीराम व हनुमान ऐसे चरित्र हैं, जिनका नाम सुनते ही भारतीयों का सिर अपने आप झुक जाता है। लेकिन रामायण के नाम पर बनायी गई फिल्म में जिस ढंग से चरित्रो को दर्शाया गया है तथा डायलॉग में निम्न स्तर के शब्दों का प्रयोग किया गया है, उसे कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता। सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को कैसे अनुमोदन दिया य़ह चकित करता है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में अयोध्या में प्रभु के जन्मस्थान पर भव्य राम मंदिर का निर्माण का कार्य चल रहा है। शीघ्र ही इसका कार्य़ समाप्त होगा। ऐसी स्थिति में देशवासियों ने उच्च मानवीय मूलयों की स्थापना करने की आवश्यकता है। इसलिए श्रीराम के चरित्र से समाज को शिक्षा प्राप्त करने के लिए रामानंद सागर द्वारा तैयार रामायण का पुनः प्रसारण किया जाए।