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लोगों से इसे बचाये रखने का किया आह्वान
भुवनेश्वर। कोलकाता से पधारे श्रीमद् भागवत मर्मज्ञ तथा भगवती भागवत कथा के पुरोधा आचार्य श्रीकांत जी शर्मा जी ने स्थानीय राममंदिर, यूनिट-3 के व्यासपीठ से अपराह्न 3:00 बजे से लेकर 6:30 बजे तक देवी भागवत कथा ज्ञान महात्म्य की रोचक कथा सुनाई। कथा व्यास श्रीकांत शर्मा का स्वागत आयोजन समिति की अध्यक्ष तथा मारवाड़ी महिला समिति की अध्यक्ष नीलम अग्रवाल, कृतिका मोदी और अन्य सहयोग महिलाओं द्वारा किया गया। कथा के आरंभ में गुरुदेव ने सबसे पहले अपने इष्ट गुरुदेव के नाम का स्मरण किया। गणेश जी की वंदना की। भगवान शिव की आराधना की। आदिशक्ति मां दुर्गा की आराधना की।
उसके उपरांत भगवती भागवत कथा की महिमा को सप्रसंग स्पष्ट किया। उन्होंने भक्तों को बताया कि आज समय बदल चुका है। आज भागवत कथा और देवी भागवत कथा के श्रवण के लिए लोगों के पास समय ही है। आज ऐसी स्थिति पैदा हो गई है कि हम अपने धर्म को भूलते जा रहे हैं। आवश्यकता इस बात की है कि हम सत्य पथ पर चलें और धर्म का आचरण करें। भगवती दुर्गा का पाठ करें। उनकी पूजा करें। उनकी कथा सुनें और अपने मनुष्य जीवन को सार्थक बनाएं। उन्होंने बड़े ही सुंदर तरीके से देवी भागवत कथा के महत्त्व को बताया।कथा व्यास श्रीकांत शर्मा ने बताया कि गुरु का दायित्व अनादि काल से, पौराणिक काल से बहुत ही महत्वपूर्ण रहा है।
उन्होंने बताया कि गुरु का जीवन यजमान के कल्याण के लिए होता है। आयोजकों को देवी भागवत कथा का आयोजन कम से कम 5 बार अवश्य करना चाहिए। उन्होंने गुरु वशिष्ट की प्रशंसा करते हुए उनके गुरु धर्म की सप्रसंग व्याख्या की और बताया कि हमारे जैसे कथावाचक केवल यजमान के सामर्थ्य के अनुसार कथा नहीं बांचते हैं अपितु हम ऐसे कथावाचक हैं जो यजमान के कल्याण के लिए अपने खर्च से कथा का वाचन करते हैं। क्योंकि उसका अंततः लाभ यजमान को ही मिलता है। आयोजकों को ब्राह्मणों अटूट विश्वास रखकर कथा का आयोजन करना चाहिए। उन्होंने कथाक्रम में रेवती की सप्रसंग व्याख्या की। आयोजन पक्ष की ओर से कथाश्रवण हेतु सभी से आग्रह रहा।