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प्रशासन के पहुंचने से पहले घटनास्थल पर पहुंचे स्थानीय लोग
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तत्काल शुरू किया राहत अभियान
गोविंद राठी, बालेश्वर।
आज यह साफ हो गया है कि ओडिशा के लोग प्राकृतिक आपदाओं से जूझने में पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो गए हैं। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण जिले के बाहनगा के निकट ट्रेन हादसा के तुरंत बाद देखने को मिला। तीन ट्रेनों की टक्कर के कारण गूंजी आवाज और हादसे की सूचना फैलते ही स्थानीय लोगों की भीड़ मौत को मात देने के लिए घटनास्थल पर दौड़ पड़ी। प्रशासन के पहुंचने से पहले लोगों की उमड़ने लगी। जो व्यक्ति, जहां पहुंचा, वहीं ट्रेन में फंसे यात्रियों को निकालना शुरू कर दिया। देखते-देखते सैकड़ों की संख्या में स्थानीय लोगों की भीड़ मौक पहुंच गई। जब तक प्रशासनिक अधिकारी और एनडीआरएफ, ओड्राफ, पुलिस और अग्निशमन विभाग की टीम मौके पर पहुंची, तब तक काफी संख्या में यात्रियों को बाहर निकाल चुके थे।
रात के अंधियारे और चीख से जूझते रहे लोग
हादसा शुक्रवार को शाम सात बजे से बाद हुआ था। इसलिए बीतते समय के साथ-साथ अंधेरा घना हो रहा था। इस अंधियारे को भी चीरते हुए लोग मदद में जुटे रहे। चीख-पुकार में अडिग लोगों ने अपना अभियान जारी। राहत और बचाव दल को स्थानीय लोगों ने जमकर मदद की।
अस्पतालों में रक्तदान को उमड़ी भीड़
लोगों का जुनून सिर्फ राहत और बचाव अभियान तक ही सीमित नहीं रहा। उनका जुनून घायलों की जान बचाने में भी देखने को मिला। काफी संख्या में घायलों के अस्पतालों में पहुंचते ही भद्रक, बालेश्वर, सोरो, कटक और उन तमाम अस्पतालों में लोगों की भीड़ रक्तदान करने के लिए उमड़ पड़ी। लोगों ने ठान लिया था कि किसी भी एक व्यक्ति की मौत खून की कमी से नहीं होनी चाहिए। शुक्रवार की रात से लेकर आज शनिवार की सुबह तक भीषण गर्मी में लोग रक्तदान के लिए लाइन में खड़े रहे।
कटक में डॉक्टरों ने किया रक्तदान
कटक स्थित एससीबी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में चिकित्सकों ने भी आम लोगों के साथ-साथ रक्तदान दिया, ताकि रक्त की संकट महसूस न हो। कटक में स्थानीय लोग भी धीरे-धीरे रक्तदान करने के लिए पहुंचने लगे।