भुवनेश्वर,: 3 महीने के बच्चे की सफल रेटिना सर्जरी करके कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (कीम्स) के डॉक्टरों ने खूब प्रशंसा बटोरी है। कीम्स बाल रोग विभाग में भर्ती एक 3 महीने के बच्चे को एक डॉक्टर ने दृष्टिबाधित होने के संदेह के कारण रेटिनल स्क्रीनिंग के लिए रेफर कर दिया था। स्क्रीनिंग में डॉक्टरों ने पाया कि बच्चा पूरी तरह से देख नहीं पा रहा था क्योंकि बच्चे की दृष्टि में अपेक्षा के अनुरूप सुधार नहीं हो रहा था।
नेत्र रोग विभाग के कंसल्टेंट रेटिना सर्जन डॉ. मन्मथ कुमार दास के प्रयास से बच्चे का लेजर सिस्टम से इलाज किया गया और फिर डॉ. दास ने बच्चे की बायीं आंख की सर्जरी की। चूंकि बच्चा केवल 3 महीने का था, इसलिए ऐसी सर्जरी काफी जटिल और चुनौतीपूर्ण थी। तब डॉ. दास के नेतृत्व में करीब 5 लोगों की मेडिकल टीम ने 1 घंटे तक कड़ी मेहनत की और बच्चे की रेटिना की सर्जरी करने में सफल रही।
सर्जरी के उपरांत अब बच्चा ठीक है और देख पा रहा है। डॉ. दास ने कहा कि कीम्स में इस तरह की पहली सर्जरी हुई है। डॉ. दास ने जानकारी दी है कि, एक माँ स्वाभाविक रूप से 37 से 40 सप्ताह के बीच बच्चे को जन्म देती है। इससे कम समय में जन्म लेने वाले शिशुओं को प्रीमेच्योर कहा जाता है। यदि शिशु का वजन 1750 ग्राम से कम है तो इन शिशुओं में कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं सामने आती हैं। उनमें से कई को दृष्टि हानि का खतरा है। यदि रेटिनल स्क्रीनिंग समय पर की जाए तो बच्चों में दृष्टि संबंधी समस्याओं का पता लगाया जा सकता है और सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है।
जबकि इस उपचार में राज्य के बाहर अधिक खर्च आता है, यह कीम्स में कम लागत पर किया जा सकता है। सर्जरी के बाद बच्चे के माता-पिता खुश हैं और डॉ. दास और उनकी मेडिकल टीम का आभार व्यक्त किया है। कीम्स में इस तरह की दुर्लभ और सफल सर्जरी के लिए कीट, कीस और कीम्स के संस्थापक प्रो अच्युत सामंत ने बच्चे के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की और सर्जन मन्मथ कुमार दास और उनकी पांच सदस्यीय मेडिकल टीम को धन्यवाद दिया है।