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रत्नभंडार की चाभी मामले में विधि विभाग की नहीं हुई एक भी बैठक – भाजपा

  •  कहा-सूचना अधिकार कानून के जरिये मिली जानकारी

  • वर्तमान प्रशासक पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप

भुवनेश्वर। पुरी श्रीजगन्नाथ मंदिर के रत्नभंडार की चाभी खो जाना मंदिर के इतिहास में सबसे कलंकित घटना है। साल 2018 में चाभी खो जाने की बात सामने आयी थी। तबसे राज्य की जनता रत्नभंडार को खोलकर वहां प्रभु के आभूषण सुरक्षित हैं या नहीं हैं, यह स्पष्ट करने की मांग करती रही है, लेकिन राज्य सरकार के विधि विभाग ने इस घटना के बाद एक बार भी इस संबंध में किसी प्रकार की बैठक या चर्चा नहीं की है।

सूचना अधिकार कानून के तहत विधि विभाग ने स्वयं यह जानकारी दी है। यह अत्यंत चिंता पैदा करने वाली बात है। भाजपा के प्रवक्ता अनिल बिश्वाल ने पार्टी कार्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में ये बातें कहीं।

उन्होंने कहा कि इन पांच सालों में सारा राज्य इस मुद्दे को लेकर आंदोलित है, लेकिन राज्य सरकार इस मामले को हल्के रुप में ले रही है। इस मामले को लेकर बैठक करना तथा समाधान का प्रयास गत पांच सालों के कालखंड में न करना दुर्भाग्यपूर्ण है तथा नवीन पटनायक सरकार की प्रभु श्रीजगन्नाथ विरोधी मानसिकता को स्पष्ट करता है।

उन्होंने कहा कि श्रीमंदिर के मुख्य प्रशासक के रुप में राज्य सरकार रंजन कुमार दास को जिम्मेदारी है। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। उन्होंने कहा कि जाजपुर जिले के 2 सौ करोड़ के मुगुनी पत्थर भ्रष्टाचार में उनके शामिल होने की बात विजिलेंस ने लोकायुक्त को लिखित रिपोर्ट में दी है। ऐसे व्यक्ति को श्रीमंदिर के प्रशासक के रुप में नियुक्ति दी जानी चिंता पैदा करती है। उन्होंने कहा कि यदि उन्हें इस पद से हटा कर नए इमानदार व्यक्ति को नहीं दिया जाता है, तो प्रभु जगन्नाथ जी की जमीनों को वह बेच सकते हैं। हालांकि खबर लिखे जाने तक इन आरोपों पर श्रीमंदिर के प्रशासक और विधि विभाग की प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई थी।

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