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सरपंच को मिली लोगों को जागरूक करने की जिम्मेदारी
केंदुझर। वन विभाग ने केंदुझर जिले के अटेई आरक्षित वन में ग्रामीणों और घरेलू पशुओं के प्रवेश को प्रतिबंधित कर दिया है। बाघ द्वारा भैंसों को मारने की खबरों के बाद यह कदम उठाया गया है।
इसे लेकर घाटगांव रेंज के वन रेंज अधिकारी ने पत्र के जरिए निर्देश जारी करते हुए आनंदपुर सब डिवीजन के बड़ाजामुपासी, उपराडीहा और कोलीतमाटी पंचायतों के लोगों से कहा कि वे आरक्षित वन में न जाएं और न ही अपने पालतू जानवरों को जंगल में जाने दें।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वन्यजीव (संरक्षण) (उड़ीसा) नियम 1974 की धारा 45 डीडी (iii) के अनुसार आरक्षित वन क्षेत्र के अंदर अगर उन्हें या उनके जानवरों को कोई नुकसान होता है तो कोई मुआवजा नहीं दिया जाएगा।
सहायक वन संरक्षक घनश्याम महंत ने कहा कि हमने बड़ाजामुपासी, उपराडीहा और कोलीटमाटी पंचायतों के सरपंचों को सतर्क किया है, जो अपने ग्रामीणों के बीच जागरूकता पैदा करेंगे। उन्होंने बताया कि जंगल के आस-पास के गांवों में रहने वाले लोग छोटे-छोटे वन उत्पादों जैसे पत्तियों को इकट्ठा करके और बेचकर अपनी आजीविका कमाते हैं। ऐसे लोगों के जंगल में जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इससे उनकी आर्थिक स्थिति में बाधा आएगी। इसलिए हमने उन्हें वर्मीकम्पोस्ट के गड्ढे तैयार करने की ट्रेनिंग दी है। एक गड्ढे से वे प्रति वर्ष 80,000 रुपये कमाते थे।
महंत ने कहा कि ग्रामीणों के बीच अपनी भैंसों को खेती के बाद जंगलों में छोड़ना एक आम प्रथा है। हमने उन्हें इस प्रथा से दूर रहने के लिए भी कहा है।