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कम से कम 200 निवेशक बालेश्वर जिले से
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अचानक वेबसाइट ने काम करना किया बंद
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निवेशक राशि की निकासी नहीं कर सके
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धोखाधड़ी के मामले में आर्थिक अपराध शाखा ने एक को धर-दबोचा
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गेट्सो अर्निंग ऐप के बाद क्लाउड-फुट की जांच में जुटी आर्थिक अपराध शाखा
भुवनेश्वर। गेट्सो अर्निंग ऐप के बाद अब क्रिप्टो माइनिंग कंपनी क्लाउड-फुट ने भी भारत में लगभग 80 हजार लोगों को चपत लगाई है। इसमें से 200 से अधिक सिर्फ ओडिशा के बालेश्वर जिले से हैं। बताया जा रहा है कि क्लाउड-फुट की वेबसाइट ने काम करना बंद कर दिया है, जिससे निवशक अपनी राशि की निकासी नहीं कर पा रहे हैं।
इस धोखाखड़ी की जांच करते हुए आर्थिक अपराध शाखा, भुवनेश्वर ने ओडिशा के बालेश्वर जिले के अंगरगड़िया से एक आरोपी को धर-दबोचा है। उसकी पहचान नीलेश कुमार कर के रूप में बताई गई है।
उस पर आईपीसी की धारा 420/467/468/471/120-बी, आईटी अधिनियम की धारा 66 (डी) और ओपीआईडी अधिनियम की धारा 6 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
ईओडब्ल्यू ने आरोपी को रिमांड पर लिया
ईओडब्ल्यू ने कहा है कि आरोपी को बालेश्वर में ओपीआईडी अधिनियम के तहत नामित अदालत में पेश किया गया था और चार दिन की पुलिस रिमांड पर भुवनेश्वर लाया जा रहा है। इस दौरान उससे गंभीर पूछताछ की जाएगी।
बालेश्वर में दर्ज हुआ मामला
ईओडब्ल्यू ने कहा कि क्लाउड-फुट नामक ऐप/वेबसाइट में अधिक कमाई का झांसा देकर लोगों से निवेश कराया गया था। बालेश्वर के एक निवेशक महामन्या जेना का निवेश जब फंसा तो उनके आरोप पर मामला दर्ज किया गया। जेना ने जनवरी से मार्च, 2023 के बीच 2.13 लाख रुपये का निवेश किया था। शर्तों के अनुसार, जब उसे निवेशित राशि पर 50,57,117 रुपये मिलने थे, लेकिन अचानक वेबसाइट ने काम करना बंद कर दिया और निवेशक राशि की निकासी नहीं कर सका।
यूएसए आधारित कंपनी होने का दावा
बताया गया है कि क्लाउड-फुट एक ऑनलाइन एपीपी/लिंक्ड आधारित कंपनी है, जो एक बड़ी पोंजी/एमएलएम स्कीम चला रही थी और धोखाधड़ी से एक क्रिप्टो माइनिंग कंपनी होने का दावा कर रही थी। इसने खुद को कुछ रिचर्ड परसेल के नेतृत्व वाली यूएसए आधारित कंपनी होने का दावा किया था। निवेशकों को एक वीडियो भी दिखाया गया था, जिसमें यह व्यक्ति (रिचर्ड परसेल) अमेरिकी उच्चारण के साथ अंग्रेजी में क्लाउड फुट का प्रचार कर रहा था।
आरबीआई के फर्जी सर्टिफिकेट पेश किया
ईओडब्ल्यू ने बताया कि कंपनी ने निवेशकों का विश्वास हासिल करने के लिए आरबीआई के फर्जी सर्टिफिकेट का हासिल करने का दावा किया और पेश भी किया। दावा किया गया था कि भारत सरकार ने क्लाउड फुट के साथ 10 साल का करार किया है।
नए सदस्यों को शामिल करने पर मिलता था कमीशन
ईओडब्ल्यू के अनुसार, नए सदस्यों को शामिल करने के लिए इसने भारी बोनस या कमीशन की भी पेशकश की थी। पॉलिसियों की शुरुआत 665 रुपये से शुरू होकर लाख में हुई। शुरुआत में निवेशकों को कुछ रिटर्न मिलता था, लेकिन अंत में ऐप और वेबसाइट बंद हो गई। यह मुख्य रूप से टेलीग्राम चैनल और व्हाट्सएप समूहों के माध्यम से चल रहा था।
गिरफ्तार आरोपी है बालेश्वर का सर्टिफाइड जिला प्रमुख
ईओडब्ल्यू ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी नीलेश कर बालेश्वर का सर्टिफाइड जिला प्रमुख है। उन्होंने आरबीआई से फर्जी प्राधिकरण पत्र और जिला प्रमुख के रूप में क्लाउड-फुट का नियुक्ति पत्र भी दिखाया था। विश्वास हासिल करने के लिए वह विभिन्न माध्यमों से इसका प्रचार-प्रसार भी कर रहा था।
मास्टरमाइंड और शीर्ष आकाओं की खोज जारी
ईओडब्ल्यू ने कहा कि इस घोटाले के मास्टरमाइंड और शीर्ष आकाओं का पता लगाने के लिए आगे की जांच जारी है। आरोपी के पास से कई आपत्तिजनक सामग्री वाला एक मोबाइल फोन बरामद किया गया है। इसके अलावा गवर्नर, आरबीआई द्वारा कथित रूप से जारी फर्जी प्राधिकरण/प्रमाण पत्र और क्लाउड-फुट आदि द्वारा अभियुक्तों को जारी नियुक्ति पत्र भी जब्त किया गया है। मामले की आगे की जांच जारी है।