-
12 साल में 10 चक्रवात से राज्य जूझा
-
छह जिलों में समुद्री तटों में कटाव
भुवनेश्वर। ओडिशा पिछले कुछ वर्षों में जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभाव का सामना कर रहा है। लगातार उष्णकटिबंधीय चक्रवातों और बाढ़ से जूझने के अलावा, राज्य छह तटीय जिलों में समुद्री तट कटाव देखने को मिल रहा है। ओडिशा के ये छह तटीय जिले हैं- बालेश्वर, भद्रक, गंजाम, जगतसिंहपुर, केंद्रापड़ा और पुरी।
जहां तक चक्रवातों की बात करें, तो राज्य ने पिछले 12 वर्षों में 10 चक्रवातों सहित कम से कम 16 प्राकृतिक आपदाओं का सामना किया है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, ओडिशा में तटरेखा लगभग 480 किलोमीटर लंबी है, जिसमें से 267 किलोमीटर में समुद्री तट कटाव देखी गई है।
2,489 हेक्टेयर भूमि कटाव की चपेट में
द ओडिशा स्पेश एपलिकेशन्स सेंटर (ओआरएसएसी) ने 3,555 वर्ग किमी में फैले तटीय क्षेत्रों पर साल 2006-2018 के दौरान लिए गए उपग्रह चित्रों के आधार पर एक डीजीपीएस सर्वेक्षण किया है। सर्वेक्षण में पाया गया कि छह तटीय जिलों में 2,489 हेक्टेयर भूमि को कटाव का सामना करना पड़ा, जबकि तटरेखा 1,582 हेक्टेयर भूमि में वृद्धि हुई थी।
कुल मिलाकर, ओडिशा तटरेखा में 4,069 हेक्टेयर भूमि को इस अवधि के दौरान या तो अभिवृद्धि या क्षरण का सामना करना पड़ा।
केंद्रापड़ा में सबसे अधिक कटाव
केंद्रापड़ा जिले में सबसे अधिक 1,058 हेक्टेयर भूमि में अभिवृद्धि और क्षरण देखा गया है। इसके बाद बालेश्वर जिले में 920 हेक्टेयर, जगतसिंहपुर में 679 हेक्टेयर, भद्रक में 543 हेक्टेयर, पुरी में 540 हेक्टेयर और गंजाम में 327 हेक्टेयर प्रभावित हुई है।
केंद्रापड़ा में 247 लोग हुए विस्थापित
केंद्रपाड़ा जिला राज्य का सबसे खराब समुद्री कटाव वाला जिला है, क्योंकि जिले के 16 गांव पहले ही समुद्र के पानी में डूब चुके हैं और समुद्र के स्तर में वृद्धि के कारण 247 लोगों को विस्थापन का सामना करना पड़ा था।
गंजाम के दो गांव प्रभावित
इसी तरह से गंजाम जिले के दो गांव भी समुद्र के स्तर में वृद्धि के कारण प्रभावित हुए हैं। जिले के कटाव प्रभावित पोडमपेट्टा और रामायपाटना गांवों के कुछ स्थानीय लोग पहले ही विस्थापित हो चुके हैं।
ओडिशा सरकार ने एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधन परियोजना के लिए तटरेखा प्रबंधन योजना तैयार की है।
कई क्षेत्रों में संभावना कायम
योजना के अनुसार, केंद्रापड़ा जिले का सतभाया क्षेत्र, बालेश्वर में बूढ़ाबलंग के उत्तरी भाग में तलसाही, उदयपुर, जगतसिंहपुर का पारादीप बंदरगाह क्षेत्र, यमुना का तट, पुरी के समुद्र तट क्षेत्र और गोपालपुर बंदरगाह का उत्तरी भाग, गंजाम में बहुडा नदी के उत्तर में या तो तटीय क्षरण देखा गया है या संभावना है।
ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र का कटाव
वरिष्ठ पर्यावरणविद् रंजन पंडा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र का कटाव या कटाव होता है।
उन्होंने कहा कि समस्या का कोई विशिष्ट और तत्काल समाधान नहीं है, लेकिन लंबे समय तक शमन के उपाय इसे रोक सकते हैं।
चूंकि ओडिशा के कुछ तटीय क्षेत्र समुद्र के कटाव की चपेट में हैं, वे बुरी तरह प्रभावित हैं। उन्होंने कहा कि ओडिशा के तटीय क्षेत्र में आने वाले दिनों में जलवायु परिवर्तन का और अधिक प्रभाव देखने को मिलेगा।
राज्य ने एक जलवायु परिवर्तन कार्य योजना तैयार की
ओडिशा विधानसभा को हाल ही में एक बयान में राज्य के वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री, प्रदीप आमत ने कहा था कि राज्य सरकार ने केंद्रापड़ा के पेंथा समुद्र तट के पास तटरेखा के 505 मीटर एक दीवार का निर्माण किया है।
उन्होंने कहा कि राज्य ने एक जलवायु परिवर्तन कार्य योजना तैयार की है, जिसे 11 विभागों में लागू किया जा रहा है।
इसके अलावा, ओडिशा सरकार ने वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग करके नए जंगलों का निर्माण किया है। कृषि में पानी के उपयोग को कम करने की कोशिश की है और भवन निर्माण कोड में बदलाव लाए हैं।
मंत्री ने कहा कि वर्षा जल संचयन, उद्योगों के बफर क्षेत्रों को हरा-भरा करने पर जोर, प्रदूषण स्तर को कम करने और राज्य के सभी कोनों में सार्वजनिक परिवहन शुरू करने जैसे अन्य कदम चुनौती का सामना करने के लिए उठाए जा रहे हैं।