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जनजातीय संरक्षण मंच का शक्ति प्रदर्शन

  •  राज्यभर से आए आदिवासियों ने राजधानी में तीन-तीन जगहों से पारंपरिक नृत्य-गीत के साथ निकाली रैली

  • जनता मैदान में विशाल जनसभा

  • अन्य धर्मों में परिवर्तित जनजातियों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) सूची से बाहर करने की मांग

भुवनेश्वर। जनजातीय संरक्षण मंच ने आज राजधानी भुवनेश्वर में शक्ति प्रदर्शन किया। प्रदेश के कोने-कोने से आए हजारों की संख्या में आदिवासी समुदाय के लोगों ने पारंपरिक नृत्य गीत के साथ राजधानी में तीन जगहों से रैली निकालकर जनता मैदान में आयोजित विशाल जनसभा में भाग लिया। आदिवासियों से उनके अधिकार छीनने, वास्तविक जनजातियों को न्याय दिलाने की मांग को लेकर आज यह विशाल प्रदर्शन राजधानी में किया गया है। खासकर आदिवासी समुदाय से धर्म परिवर्तन कर अन्य धर्म में शामिल होने वाले लोगों को जो जनजाति की सुविधा मिलती है, उसे बंद करने की मांग की गई है।

जनजाति सुरक्षा मंच का गठन 2006 में किया गया था। इसका उद्देश्य है कि 1970 में कार्तिक ओरांव ने जो मांग संसद में रखी थी और जिस पर संयुक्त संसदीय कमेटी ने मंजूरी दिया था और धर्मांतरित जनजाति लोगों को आरक्षण की सुविधा ना मिले, मांग पारति की गई थी, यह मांग आज तक पूरी नहीं की गई है। इसकी के लिए जनजाति सुरक्षा मंच पूरे देश के जनजातियों को जोड़ते हुए जनजाति समाज के नेताओं का संगठन बनाया गया है, उसी की यह रैली है। केन्द्र सरकार से हम मांग रखते हैं कि जनजाति धर्मांतिरत लोगों को आरक्षण की सुविधा नहीं मिलनी चाहिए। इसी मांग को लेकर आज पूरे प्रदेश से 50 हजार से अधिक जनजाति लोग यहां आए हैं। 10 फरवरी को ऐसी ही रैली भोपाल में हुई थी, जिसमें 60 हजार लोग आए थे। रविवार को इसी मुद्दे को लेकर गुवाहाटी में एक लाख लोगों की रैली होने जा रही है। इस पर 12 बार संसद में लोकसभा एवं राज्यसभा चर्चा हो चुकी है। इस पर पिछले वर्ष सुरक्षा मंच के पदाधिकारी 450 सांसद से मिले थे और लगभग सभी सांसदों ने इस पर अपनी सहमति जतायी है। आज के प्रदर्शन के बाद एक मांग पत्र हम केन्द्र सरकार को भेंजेगे।

वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता प्रकाश बेताला के संयोजन में जनजाति सुरक्षा मंच के इस विशाल सभा में केन्द्रीय आदिवासी मंत्री विशेश्वर टुडू, पूर्व केन्द्री मंत्री तथा सुन्दरगढ़ के सांसद जुएल ओरांव, भाजपा के कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए। आदिवासियों की पारंपरिक वेशभूषा में निकली इस रैली को राजधानी में जगह-जगह स्वागत किया गया। वीरेन्द्र बेताला ने कहा कि यह रैली व्यवस्थित ढंग से सभा स्थल पर पहुंचे, इसके लिए सुबह से ही हम सब कड़ी मेहनत कर रहे थे। राममंदिर से लेकर जनता मैदान तक एक टीम रैली का संयोजन कर रही थी।

इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने अन्य धर्मों में परिवर्तित जनजातियों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) सूची से बाहर करने की मांग की। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने हमारे सनातन हिंदू धर्म को छोड़ दिया और अन्य धर्मों में परिवर्तित हो गए, उन्हें आरक्षण श्रेणी से बाहर रखा जाना चाहिए। हर जनजाति की अपनी संस्कृति, परंपरा और इष्ट देव एक होते हैं।

केंद्रीय जल राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने कहा कि जनजातियों की अपनी संस्कृति और परंपरा होती है। यदि कोई दूसरे धर्म में परिवर्तित हो रहा है, तो वह अपनी मूल संस्कृति से दूर जा रहा है। इसलिए उसे आरक्षण सूची से बाहर रखा जाना चाहिए। टुडू ने कहा कि मांग पूरे देश में जोर से बढ़ रही है और ओडिशा अलग नहीं है।

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