भुवनेश्वर। स्थानीय मंचेश्वर, चन्द्रशेखरपुर रेलसभागार में श्री हनुमान त्रिवेणी कथा का शुभारंभ हो गया है। इसके शुरुआत कथा व्यास पण्डित विजयशंकर मेहता ने की। कथा के आरंभ में उन्होंने अपने समस्त इष्ट देवों की वंदना की। उनका स्वागत फ्रैंड्स आफ ट्रायल सोसाइटी भुवनेश्वर के अध्यक्ष अजय अग्रवाल ने किया। उन्होंने अपने अभिभाषण में यह स्पष्ट किया कि जिन उद्देश्यों से राम का वनवास हुआ, उन्हीं उद्देश्यों को फ्रेंड्स आफ ट्रायल सोसाइटी ओडिशा तथा श्रीहरि सत्संग भुवनेश्वर द्वारा ओडिशा के वनांचल में शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कार और संस्कृति की शिक्षा-दीक्षा फ्री देकर की जा रही है। उन्होंने जोर देकर श्रीरामचरितमानस के किष्किन्धाकाण्ड का उल्लेख करते हुए राम की मुलाकात हनुमान जी से कराते हैं। यह मुलाकात भक्त-भगवान की प्रथम मुलाकात रही जिसमें मनोवैज्ञानिक ऋषि गोस्वामी तुलसीदास जी ने कालजयी रुप में किया। उन्होंने अच्छी संतान की जानकारी दी। हनुमान के बजरंगी रुप का वर्णन करते हुए उन्हें राम का काम करना होगा। उन्होंने हनुमान को धैर्य, ऊर्जावान और परमभक्त बनने का आशीर्वाद दिया। जब राम-हनुमान के मध्य वार्ता हुई तो माया को बाधक बताया और अंत में राम ने हनुमान को गले लगा लिया। कथावाचक जी ने अनुग्रह को सार्थक सिद्ध कर दिया। उन्होंने अपनी कथा को सभी को जीवन में अपनाने का संदेश दिया। उन्होंने अंगद बाली प्रसंग में शिक्षा में संस्कार का संदेश दिया। आज के मां बाप को ईश्वर से जोड़ने का संदेश दिया। उन्होंने संकट के समय मुस्कराने का संदेश दिया। उन्होंने सभी को हनुमान जैसा भक्त बनने का संदेश दिया। उन्होंने यह भी बताया कि पलभर में सबकुछ बदल जाएगा फिर भी सदा मुस्कुराते रहना चाहिए। कथावाचक मेहता जी का स्वागत संजय लाठ, अध्यक्ष, मारवाड़ी सोसाइटी भुवनेश्वर, किशन मोदी, कटक मारवाड़ी समाज के अध्यक्ष, लक्ष्मण महिपाल संरक्षक एफटीएस, पवन गुप्ता अध्यक्ष श्रीश्याम मंदिर झारपाड़ा सेवा ट्रस्ट आदि ने किया। व्यासजी ने सभी से उनके दिल में बसाने का निवेदन किया। उनके अनुसार भक्त को कभी उदास नहीं रहना चाहिए। उन्होंने ने कथाप्रसंग में तारा को धीरज बंधाते हुए बताया कि यह शरीर नश्वर है। उन्होंने शरीर और आत्मानुभूति के सतत अभ्यास का संदेश दिया जिससे तनाव दूर होता है। आज की कथा को विराम देने से पूर्व पण्डित विजयशंकर मेहता ने बताया कि हनुमान जी एक दूरदर्शी भक्त हैं जो सभी का कल्याण करते हैं। उन्होंने किष्किन्धाकाण्ड में वर्णित समाधान के अनेक सूत्रों को बताया जिससे परिवार में सुख, शांति, समृद्धि और अमन चैन कायम रहता है। उन्होंने कथाश्रवण के लिए बच्चों का आह्वान किया। युवाओं का आह्वान किया। सभी को मुस्कुराते रहने का संदेश दिया।आज के मूल संदेश में आज के परिवार, समाज और राष्ट्र को बचाने के लिए श्री राम कथा और हनुमान कथा के नित्य श्रवण और उसे अपनाने का पावन संदेश दिया।
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