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उत्कल विश्वविद्यालय में प्रोफेसर सुरजीत मजूमदार के भाषण का हुआ तीखा विरोध
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सेमिनार में दो दलों के बीच हुई मारपीट में कई घायल
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दोनों दलों की ओर से थाने में शिकायत दर्ज
भुवनेश्वर। ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर स्थित उत्कल विश्वविद्यालय में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के एक प्रोफेसर को भारत के लोकतंत्र को खतरे में बोलना महंगा पड़ा। सेमिनार में शामिल छात्र उनके इस भाषण पर भड़क गये और जमकर विरोध किया। स्थिति मार-पीट तक पहुंच गयी, जिसमें कई छात्रों के घायल होने की खबर है। परिसर में तनाव फैल गया है। आरोप है कि भड़क छात्रों ने भाषण और सेमिनार का विरोध करने के अलावा यहां विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर और सिटीजन फोरम के संयोजक को गालियां भी दी। हमले में जहां दो लोगों को चोटें आईं, वहीं दोनों पक्षों की ओर से दो अलग-अलग शिकायतें शहीद नगर थाने में दर्ज कराई गई हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, आज उत्कल विश्वविद्यालय के पीजी काउंसिल हॉल में सिटीजन फोरम ने भारतीय संविधान और शिक्षा विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया था। इसमें जेएनयू के प्रोफेसर सुरजीत मजूमदार अपना भाषण दे रहे थे, तभी कुछ छात्र खड़े हो गए और उनका विरोध करने लगे। बताया जा रहा है कि भाषण के दौरान मजूमदार ने कहा कि भारत का लोकतंत्र खतरे में है। इस पर छात्रों के नाराज होने के कारण स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई। नाराज छात्रों और सिटीजन फोरम के संयोजक प्रदीप्त नायक और व्याख्याता सुरेंद्र जेना के बीच मौखिक द्वंद्वयुद्ध शुरू हो गयी। स्थिति गाली-गलौच के अलावा मारपीट तक पहुंच गयी। हालात को देखते हुए सेमिनार को बीच में ही रोकना पड़ा। बाद में दोनों पक्षों ने शहीद नगर थाने में जाकर अलग-अलग शिकायत दर्ज कराईं।
नागरिक मंच के संयोजक प्रदीप्त नायक ने कहा कि संगोष्ठी शांतिपूर्वक चल रही थी। हमारे अतिथि जेएनयू प्रोफेसर सुरजीत मजूमदार अपना भाषण दे रहे थे। वह किसी के खिलाफ नहीं बोल रहे थे, यहां तक कि सरकार के खिलाफ भी नहीं। तभी कुछ छात्र अंदर घुसे और मजूमदार का विरोध किया। विरोध करने पर उन्होंने हम पर हमला कर दिया। उन्होंने कहा कि इसमें मानस साहू भी शामिल था, जो खुद को एक आरएसएस कार्यकर्ता होने का दावा कर रहा है। वह पूर्व छात्र है।
इधर, पूछे जाने पर उत्कल विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र मानस साहू ने कहा कि हम सेमिनार में भाग लेने गए थे। अपने भाषण के दौरान सुरजीत मजूमदार ने बताया कि भारत का लोकतंत्र खतरे में है। उच्च जातियां देश पर शासन कर रही हैं और हमें उनका विरोध करना चाहिए, इत्यादि, इत्यादि। यह सुनकर हमने उसका विरोध किया। बदले में उन्होंने हम पर हमला किया। बाद में हमने कार्यक्रम को इस आधार पर रोक दिया कि उत्कल विश्वविद्यालय जैसे विश्वविद्यालय में कोई भी राष्ट्र विरोधी बयान नहीं दे सकता है।