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कटक में गोमाता की भक्ति की बही रसधारा

  • जया किशोरी जी ने कोरोना को लेकर फैलायी जागरुकता

  • लोगों से सतर्क रहने का किया आह्वान, रूमाल के प्रयोग पर दिया जोर

  • नंदगांव गोसेवा आश्रम की नानी बाई रो मायरो कथा का प्रथम दिवस संपन्न

  • जया किशोरी जी ने कहा-सच्चे मन और लगन से भक्ति करने से भगवान अवश्य ही मिलते हैं

  • टूटते और एकल परिवार की दशा पर दुःख जताते हुए संयुक्त परिवार से जुड़े रहने पर जोर दिया

कटक-नानी बाई रो मायरो की संगीतमय शुरुआत के साथ ही कटक में गोमाता की भक्ति की रसधारा बहने लगी है। श्रद्धालु गोमाता की भक्ति में रमे हुए हैं। तीन दिवसीय कथा की शुरुआत के पहले दिन में राधा स्वरूपा पूज्य जया किशोरी जी ने राधे कृष्ण राधे कृष्ण संकीर्तन करते हुए उपस्थित गोभक्त जन समुदाय को कोरोना वायरस को लेकर जागरुक किया तथा सतर्क रहने का आह्वान किया।

उन्होंने वायरस की विविधता से चेताया तथा रूमाल के सदैव व्यवहार करने एवं एक-दूसरे को हाथों से संपर्क करने से बचने को कहा। स्थानीय मारवाड़ी क्लब के प्रांगण में समस्त विश्व की माता एवं श्रीश्री गोपीनाथ जी की कृपा प्रसाद स्वरूप मंगराजपुर स्थित नंदगांव गो सेवा संघ द्वारा आयोजित त्रिदिवसीय संगीत एवं नृत्य नाटिका का नानी बाई रो मायरो कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। राधा स्वरूपा पूज्य जया किशोरी जी का मातृशक्ति ने बड़ा ही भव्य एवं महत्वपूर्ण स्वागत किया।

छोटी बच्चियों ने नव दुर्गा का रूप धारण कर जया किशोरी जी का स्वागत किया। आज के मुख्य यजमान विजय खंडेलवाल एवं नथमल चनानी ने मंच पर जया जी का स्वागत किया। तत्पश्चात डाक्टर किशनलाल भरतिया, कमल सिकरिया, देवकीनंदन जोशी, सत्यनारायण अग्रवाल, राजकुमार अग्रवाल, मनोज सिंघी, हजारीलाल  मुंदड़ा, अक्षय खंडेलवाल, संजय अग्रवाल, गोपाल बंसल, विश्वनाथ चौधरी आदि गणमान्य व्यक्तियों ने गोमाता की आरती की.

नंदगांव के चेयरमैन एवं कार्य के मुख्य संयोजक नथमल चनानी ने नंदगांव गोशाला के बारे में विस्तार से जानकारी दी। साथ ही चनानी ने बताया कि राजपथ पर 66000 के भूखंड का क्रय गोशाला की तरफ से किया गया है। इस भूखंड पर 30000 वर्ग फीट पर एक भंडार गृह का निर्माण किया जाएगा। इसके निर्माण के लिए एक ईंट की कीमत रुपये 11 निश्चित की गई है। अतः उन्होंने उपरोक्त भक्तों से इसके निर्माण में ज्यादा से ज्यादा सहयोग देने की कामना की।

आज की कथा में जया किशोरी जी ने बताया कि नरसी जी भक्तों का जन्म गुजरात के जूनागढ़ में हुआ था। वे जन्म से ही गूंगे और बहरे थे।  शिवरात्रि के दिन नरसी जी अपनी दादी के साथ मंदिर जाते हैं। वहां दादी एक साधु से प्रार्थना करती है कि वह नरसी जी को ठीक कर दें। साधु महाराज उनके सिर पर हाथ फेरते हैं। फलस्वरूप वह बोलने लगते हैं और सुनने लगते हैं। इसके बाद नरसीजी भक्ति में लीन हो जाते हैं एवं सिर्फ और सिर्फ राधा कृष्ण का गुणगान करते हैं। कुछ समय पश्चात दादी के गुजर जाने के बाद वह शहर में अपने बड़े भाई के साथ रहने लगते हैं। वहां भाभी को नरसी जी जरा से भी अच्छे नहीं लगते हैं। वह उन्हें ठीक से खाने को भी नहीं देती थी और हमेशा जली-कटी बातें सुनाती रहती थी। एक दिन भाभी ने नरसी जी को घर छोड़कर जाने को कहा।

नरसी जी घर छोड़कर निकल जाते हैं। भटकते हुए नरसी जी जंगल पहुंच जाते हैं एवं वहां महादेव जी की तपस्या करने लगते हैं। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर महादेव जी प्रकट होते हैं और नरसी जी को वरदान मांगने को कहते हैं। उत्तर में नरसी जी कहते हैं कि उन्हें कुछ नहीं चाहिए। उन्हें सिर्फ उनके प्रभु राधा और कृष्ण के दर्शन करा दिए जाएं। महादेव जी उन्हें राधा कृष्ण के दर्शन कराते हैं। नरसी जी भरकर भगवान के साथ रास करते हैं फिर बाद में भगवान बारह पीढ़ी बैठकर खा सकें, उतना धन देकर वापस भेज देते हैं। जया जी ने बताया कि सच्चे मन और लगन से भगवान की भक्ति करने से भगवान अवश्य ही मिलते हैं। साथ ही जया जी ने आज टूटते हुए और एकल परिवार की दशा पर दुःख जताते हुए संयुक्त परिवार से जुड़े रहने पर जोर दिया।

 

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