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ई एंड आईटी विभाग के प्रधान सचिव की नियुक्ति पर विवाद

  • संविदा नियुक्ति के लिए विपक्षी भाजपा ने ओडिशा सरकार पर निशाना साधा

  •  बिना भर्ती सूचना और विज्ञापन के मनोज मिश्रा की नियुक्ति को भारतीय प्रशासनिक सेवा से संबंधित नियमों का घोर उल्लंघन बताया

  • इस तरह की प्रथाओं को रोकने की मांग की

भुवनेश्वर। राज्य सरकार द्वारा मनोज मिश्र को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी (ई एंड आईटी) विभाग के प्रधान सचिव के रूप में नियुक्त किये जाने को लेकर विवाद शुरू हो गया है। उनकी संविदा नियुक्ति और नियुक्त प्रक्रिया को लेकर विपक्षी दल भाजपा ने ओडिशा सरकार पर निशाना साधा है और इस तरह की प्रथाओं को रोकने की मांग की है।

मिश्र ने कुछ दिन पहले भारतीय रेलवे यातायात सेवा (आईआरटीएस) सेवाओं से इस्तीफा दे दिया था। उनका इस्तीफा स्वीकार किए जाने के तुरंत बाद 29 दिसंबर 2022 को उन्हें इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के प्रधान सचिव के रूप में नियुक्त किया गया है। रेलवे बोर्ड द्वारा बुधवार को अखिल भारतीय सेवा से मिश्र के इस्तीफे को स्वीकार करने के बाद राज्य सरकार ने अनुबंध के आधार पर उनकी नियुक्ति पर एक अधिसूचना जारी की। वह वाणिज्य और परिवहन विभाग में सरकार के विशेष सचिव (रेल समन्वय) के अतिरिक्त प्रभार में भी रहेंगे। साल 2000 बैच के अधिकारी मिश्र सात साल पहले राज्य में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर थे। वह तीन साल पहले इसी विभाग में सचिव के पद पर कार्यरत थे।

हालांकि प्रदेश भाजपा ने मिश्र की नियुक्ति को लेकर सवाल खड़ा कर दिया है। पार्टी ने इस कदम को असंवैधानिक और नियमों का घोर उल्लंघन करार देते हुए बीजद की आलोचना की।

एक प्रेस वार्ता में विपक्षी दल ने आरोप लगाया कि बिना भर्ती सूचना और विज्ञापन के, मिश्र की नियुक्ति भारतीय प्रशासनिक सेवा से संबंधित नियमों का घोर उल्लंघन है।

भाजपा ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार ने मिश्र को समर्थन दिया गया है, क्योंकि वह भाजपा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ सोशल मीडिया अभियानों में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं।

नियुक्ति पूरी तरह से असंवैधानिक – सुदर्शन नायक

भाजपा के वरिष्ठ नेता सुदर्शन नायक ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के प्रधान सचिव के रूप में मिश्रा की नियुक्ति पूरी तरह से असंवैधानिक और नियमों का घोर उल्लंघन है। यह पूरी तरह से भारतीय नौकरशाही के उद्देश्य के खिलाफ है। हम नियुक्ति को रद्द करने की मांग कर रहे हैं।

सरकारी अधिकारी की नियुक्ति से दूर रहे भाजपा – गौतम बुद्ध

दूसरी ओर, आरोपों का जवाब देते हुए बीजद ने कहा कि भाजपा इस मामले को लेकर राजनीति कर रही है। बीजद प्रवक्ता गौतम बुद्ध दास ने कहा कि भाजपा को सरकारी अधिकारी की नियुक्ति के मामलों से खुद को दूर रखना चाहिए। हम उनसे ओडिशा में विकास के मुद्दों को प्राथमिकता देने का अनुरोध करना चाहते हैं।

पूर्व प्रशासनिक अधिकारी भी पक्ष में नहीं

इस बीच पूर्व प्रशासनिक अधिकारी भी विकास के पक्ष में नहीं हैं। उनके अनुसार, विपक्ष को अवैध नियुक्ति के खिलाफ कानून का सहारा लेना चाहिए। पूर्व मुख्य सचिव सहदेव साहू ने कहा कि आईएएस और ओएएस नियुक्तियों के लिए कुछ निश्चित कैडर नियम हैं। नियुक्तियां उन कानूनों के अनुसार होनी चाहिए। नियुक्ति के लिए बहुमत की शक्ति का दुरुपयोग किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने विभिन्न पेशेवरों को संयुक्त सचिवों के रूप में नियुक्त करने के लिए लेटरल एंट्री की एक नई प्रक्रिया शुरू की है। हालांकि, इस संबंध में विज्ञापन जारी करने के साथ-साथ नियत नियुक्ति प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है। हाल ही में हुई नियुक्ति प्रक्रिया में राज्य सरकार की मंशा पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है।

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