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घोर गरीबी में जीवन-यापन कर रहा है राज्य का एक अंतर्राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी
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अपने परिवार के साथ दो कमरों के कच्चे मकान में रहता है यह खिलाड़ी
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घर में ना तो पानी का कनेक्शन और ना है अभी तक गैस
भुवनेश्वर। हॉकी के मैचों में प्रतिद्वंद्वियों से डिफेंड कर देश का नाम रौशन करने वाले स्टार डिफेंडर नीलम संजीप सेस अपनी असल की जिंदगी में गरीबी से डिफेंड नहीं कर पाये। वह कच्चे के मकान में परिवार के साथ रहते हैं। घर ना तो पानी का कनेक्शन है और ना ही गैस के सिलिंडर और चूल्हे।
इस खिलाड़ी सूरत-ए-हाल ऐसे समय में उभर कर सामने आयी है, जब ओडिशा सरकार खेल के बुनियादी ढांचे के सुधार करने और राज्य में मेगा अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट आयोजित करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने का दावा कर रही है। इसके अलावा यह राज्य में हॉकी के विकास पर बहुत जोर दे रहा है, लेकिन राज्य का एक अंतर्राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी घोर गरीबी में जीवन यापन कर रहा है। मजे की बात यह है कि केंद्र और राज्य सरकारें मुफ्त की योजनाओं को लेकर अपनी-अपनी ढोल बजाने में लगी हैं, लेकिन इस खिलाड़ी की दशा पर किसी नजर नहीं गयी।
मैदान में देश के लिए प्रतिद्वंद्वियों से डिफेंड करने वाला स्टार डिफेंडर नीलम संजीप सेस किसी के सामने हाथ फैलाने की जगह गरीबी से जंग लड़ रहे हैं।
भारतीय पुरुष हॉकी टीम के स्टार डिफेंडर नीलम संजीप सेस ओडिशा से हैं। वह 13 जनवरी से 29 जनवरी तक भुवनेश्वर और राउरकेला में खेले जाने वाले आगामी एफआईएच ओडिशा पुरुष हॉकी विश्व कप के लिए राज्य के एक अन्य स्टार अमित रोहिदास के साथ टीम का हिस्सा हैं। वह सुंदरगढ़ जिले के कुरमुंडा ब्लॉक के कडोबहाल गांव की रहने वाले नीलम देश को पदक दिलाने का सपना देखते हैं।
पिता ने उधार लेकर बनाया था घर
नीलम अपने परिवार के साथ दो कमरों के कच्चे मकान में रहते हैं। नीलम के पिता बिपिन सेस ने 40 साल पहले उधार लेकर घर बनाया था। घर में पानी का कनेक्शन नहीं है। परिवार के पास अभी तक गैस कनेक्शन नहीं है। हालांकि बिपिन के बेटे ने विश्व कप में देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक लंबा सफर तय किया है, लेकिन उनके परिवार की स्थिति में अभी तक सुधार नहीं हुआ है।
सरकार से कोई मदद नहीं मिली
नीलम के पिता बिपिन सेस ने कहा कि हमें अभी तक सरकार से कोई मदद नहीं मिली है। हमारे पास फूस के घर में रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। नीलम की मां जीरा सेस ने कहा कि जब हमारा बेटा छुट्टियों में घर आता है तो वह भी इसी कच्चे घर में रहता है। अगर सरकार हमें किसी भी योजना के तहत पक्का घर मुहैया कराती है तो हम आभारी होंगे।
टेबल पर मेडल, ट्रॉफी और जमीन पर पड़े हैं सर्टिफिकेट
यहां तक कि नीलम के मेडल, ट्रॉफी और सर्टिफिकेट रखने के लिए भी परिवार के पास उचित जगह नहीं है। उन सभी को एक टेबल पर रखा है। नीलम के सारे सर्टिफिकेट भी फर्श पर बिखरे पड़े हैं। परिवार के पास महज 45 डिसमिल जमीन है। परिवार के सदस्य सब्जी की खेती करके और दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करके अपना जीवन यापन करते हैं।
परिवार आज भी सरकारी सुविधाओं से वंचित है। उन्हें केवल राशन कार्ड मिला है, लेकिन आवास योजना के तहत अभी तक घर नहीं मिला है।
कुमारमुंडा बीडीओ ने दिया मदद का आश्वासन
इस बीच, कुमारमुंडा बीडीओ तृप्ति बरेई ने उचित पूछताछ के बाद परिवार को हर तरह की मदद का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि हम एक जांच दल भेजेंगे, जिसके बाद उच्च अधिकारियों को वास्तविकता से अवगत कराया जाएगा। इसके बाद परिवार को हर संभव सरकारी मदद दी जाएगी।
2016 में एशिया कप में टीम का हिस्सा थे नीलम
नीलम 2016 में एशिया कप में पहले ही भारतीय अंडर-18 टीम का नेतृत्व कर चुके हैं। बाद में उन्होंने दक्षिण एशियाई खेलों में सीनियर भारतीय टीम के लिए पदार्पण किया। उन्होंने 2020 में एशिया कप और 2021 में एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी में मेन इन ब्लू का भी प्रतिनिधित्व किया। अब वह आगामी हॉकी विश्व कप में देश का प्रतिनिधित्व करने जा रहे हैं।