राजेश दाहिमा, राजगांगपुर
आज के दौर में कुछ लोग रुपये की लालच में अपनी किडनी का सौदा कर देते हैं। वहीं दूसरी ओर खबर यह भी है कि किडनी कारोबार का धंधा भी चल रहा है, लेकिन राजगांगपुर शहर में इसका ठीक उल्टा उदाहरण किडनी दान का सामने आया है, जो पूरे शहर में चर्चा का विषय बन गया है और शहर के गणमान्य लोग इस मामले को एक अनूठी अनमोल मिसाल बताने के साथ एक सराहनीय कदम बताया। जानकारी के अनुसार, राजगांगपुर वार्ड नंबर छह बागीचापाड़ा निवासी राजेंद्र पुरोहित की पहली पत्नी के देहांत होने के पहले एक बेटा जिसकी उम्र उस समय आठ साल की थी। पत्नी के देहांत होने के कुछ साल बाद राजेंद्र पुरोहित ने दूसरा विवाह किया। इस विवाह के बाद उनके परिवार में खुशियों की बहार आ गई। वहीं ठीक इसी बीच उनकी पहली पत्नी का बेटा अंकित पुरोहित (२७) की किडनी खराब हो गई और राजेंद्र पुरोहित के परिवार में फिर एक बार दुःख का पहाड़ खड़ा हो गया। अपने बेटे का जीवन बचाने के लिए राजेंद्र पुरोहित दर-दर फरियाद करने के इधर-उधर भटकने लगा, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। उनकी दूसरी पत्नी मधूबाला (४७) को पति का दुःख देखा नहीं गया और उसने अपनी इच्छा से किडनी दान करने की बात अपने पति को बताया। मना करने पर भी वो नहीं मानी और अपने सौतेले बेटे का जीवन बचाने के लिए गत २३ सितंबर को अहमदाबाद स्थित इस्ट्रेलिंग हस्पताल में अपनी एक किडनी देकर अपने सौतेले बेटे को एक नया जीवन देते हुए मां बेटे का अनमोल प्रयास की एक अनमोल अनूठी मिसाल कायम रखने में सहायक बनी।