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भारत की अपनी भाषा है हिन्दी, स्थानीय भारतीय भाषाओँ की सहोदरी – केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री

  •  संयुक्त क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन एवं पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजित

भुवनेश्वर। राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा सीएसआईआर-खनिज एवं पदार्थ प्रौद्योगिकी संस्थान, आचार्य विहार, भुवनेश्वर ओडिशा में पूर्व तथा पूर्वोत्तर क्षेत्रों में स्थित केंद्र सरकार के कार्यालयों, बैंकों एवं उपक्रमों इत्यादि के लिए संयुक्त क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन एवं पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में मंचासीन अतिथियों के कर-कमलों से केंद्र सरकार के कार्यालयों, बैंकों एवं उपक्रमों को विभिन्न श्रेणियों के अंतर्गत राजभाषा में उत्कृष्ट कार्य करने हेतु पुरस्कार प्रदान किए गए। इस कार्यक्रम में केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्र, संसदीय राजभाषा समिति के उपाध्यक्ष श्री भृर्तहरि महताब, संयुक्त सचिव, राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय डॉ मीनाक्षी जौली, नराकास बैंक, भुवनेश्वर के मुख्य महाप्रबंधक चन्द्रशेखर शर्मा, गुवाहाटी रिफाइनरी के मुख्य महाप्रबंधक (मानव संसाधन) हितजीत भट्टाचार्य मंचासीन थे।
समारोह की अध्य़क्षता करते हुए केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्र ने कहा कि हिन्दी भारत के जनमानस के सहजता से समझने वाली भाषा है, केवल कुछ राजनैतिक कारणों से हिन्दी का विरोध किया जाता है। ऐसा वातावरण बनाया जाता है कि हिन्दी अन्य स्थानीय भाषाओं को समाप्त कर देगी, मगर हिन्दी भारत की अपनी भाषा है, जो अन्य स्थानीय भारतीय भाषाओँ की सहोदरी है। उनका कहना था कि किसी प्रांतीय भाषा से हिन्दी का विरोध या प्रतिस्पर्धा नहीं है।
कंठस्थ 2.0 का लोकार्पण
मिश्र ने बताया कि राजभाषा विभाग ने स्मृति आधारित अनुवाद प्रणाली ‘कंठस्थ’ का निर्माण और विकास किया है, जिसका प्रयोग सुनिश्चित कर सरकारी कार्यालयों में अनुवाद की गति एवं गुणवत्ता बढ़ाई गई है। इस टूल में अब तक लगभग 22 लाख वाक्य शामिल किए जा चुके हैं और पिछले दिनों सूरत में संपन्न हुए राजभाषा सम्मेलन में माननीय गृह मंत्री जी द्वारा इसके नए वर्जन (कंठस्थ 2.0) का लोकार्पण भी किया गया है जिसमें अब न्यूरल मशीन ट्रांसलेशन के साथ-साथ और भी अनेक नए फीचर्स जोड़े गए हैं जिससे इसकी उपयोगिता और भी ज्यादा बढ़ गई है। विभाग द्वारा ही ई-महाशब्दकोश तथा अन्य तकनीकी माध्यमों से भी हिंदी को सशक्त किया जा रहा है।
हिन्दी अनुवाद की नहीं वरन संवाद की भाषा – भृर्तहरि महताब
कार्यक्रम में बोलते हुए सम्मानित अतिथि संसदीय राजभाषा समिति के उपाध्यक्ष श्री भृर्तहरि महताब ने कहा कि हिन्दी अनुवाद की नहीं वरन संवाद की भाषा है। महताब ने पुरस्कार बिजेताओं का स्वागत करते हुए कहा कि इनके प्रयास इन्हें पुरस्कार के पात्र बनाते हैं अतः इनसे प्रेरणा लेते हुए अन्य कार्यलय भी हिन्दी में उत्तम कार्य करें ताकि अगली बार वे पुरस्कार के पात्र बनें।
हिंदी प्रयोग को बढ़ावा देने में राजभाषा विभाग अहम भूमिका – मीनाक्षी जौली
अपने स्वागत संबोधन में राजभाषा विभाग की संयुक्त सचिव, राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय डॉ मीनाक्षी जौली ने बताया कि पूरे देश में स्थित केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों एवं कार्यालयों आदि में राजभाषा संबंधी प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने तथा सरकारी काम-काज में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने में राजभाषा विभाग अहम भूमिका निभाता है। राजभाषा सबंधी संवैधानिक प्रावधानों का अनुपालन करने एवं सरकारी कामकाज में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए राजभाषा विभाग सतत प्रयासरत है और हमारे ये क्षेत्रीय सम्मेलन भी उसी दिशा में किए जाने वाले हमारे प्रयास हैं।
उनका कहना था कि राजभाषा विभाग द्वारा भी राजभाषा हिंदी के प्रयोग में तकनीक को निरंतर बढ़ावा दिया जा रहा है।
नई पहल है ‘हिंदी शब्द सिंधु’
राजभाषा विभाग की एक नई पहल है ‘हिंदी शब्द सिंधु’ जिसका लोकार्पण माननीय गृह मंत्री जी के करकमलों से सूरत में संपन्न हुआ है और जिसमें अब तक लगभग 51,000 शब्दों को शामिल किया जा चुका है और उसे विभाग द्वारा निरंतर अपडेट किया जा रहा है और नए-नए शब्दों को शामिल कर उसे समृद्ध किया जा रहा है।
लीला हिंदी प्रवाह मोबाइल ऐप से सीखें हिन्दी
अमृत महोत्सव के अवसर पर जारी इस शब्दकोश को विधि, तकनीकी, स्वास्थ्य, पत्रकारिता तथा व्यवसाय आदि क्षेत्रों से तथा विभिन्न भारतीय भाषाओं से प्रचलित शब्दों को शामिल करते हुए तैयार किया गया है जो कि आने वाले समय में सुलभ संदर्भ के लिए एक अच्छे शब्दकोश के तौर पर कारगर होगा। इसी प्रकार विभाग द्वारा जन-साधारण के लिए तैयार किए गए लीला हिंदी प्रवाह मोबाइल ऐप का प्रयोग करके विभिन्न भाषा-भाषी 14 भारतीय भाषाओं के माध्यम से अपनी-अपनी मातृभाषाओं से स्तरीय हिंदी निःशुल्क सीख सकते हैं। राजभाषा विभाग के ‘ई-महाशब्दकोश’ में लगभग 90 हज़ार शब्द सम्मिलित किये गए हैं और ‘ई-सरल’ हिंदी वाक्यकोश में भी अब तक 11 हज़ार से ज्यादा वाक्य शामिल किए जा चुके हैं। ये सभी साधन विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं और मैं आप सभी से अनुरोध करती हूं कि आप इनका प्रयोग करके राजभाषा विभाग को अपना फीडबैक जरूर दें जिससे हम आवश्यकतानुसार आगे भी इनमें निरंतर सुधार कर सकें।
सरकारी कामकाज में हिन्दी के प्रयोग पर दें विशेष बल
कार्यक्रम में बोलते हुए नराकास बैंक, भुवनेश्वर के मुख्य महाप्रबंधक चन्द्रशेखर शर्मा, गुवाहाटी रिफाइनरी के मुख्यमहाप्रबंधक (मानव संसाधन) हितजीत भट्टाचार्य ने सरकारी कामकाज में अधिक हिन्दी के प्रयोग पर विशेष बल दिया और अपने अपने कार्यालयों में हिन्दी के प्रगामी प्रयोग को बढ़ाने की बात कही। पूर्वी क्षेत्र के राजभाषा कार्यान्वयन उप-निदेशक निर्मल दुबे एवं उत्तरपूर्व क्षेत्र के राजभाषा कार्यान्वयन सहायक निदेशक बद्री यादव ने राजभाषा के कार्यान्वयन संबंधी जानकारी प्रस्तुत की।

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