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सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद संबलपुर डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन भी हुआ सख्त
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कहा- अगर आंदोलनकारी वकीलों में से एक भी निलंबित हुए, तो 1600 वकील लाइसेंस करेंगे सरेंडर
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सुप्रीम कोर्ट ने 16 नवंबर तक काम पर लौटने का दिया था निर्देश
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अवमानना करने पर लाइसेंस निलंबन की गाज गिरने की संभावना
भुवनेश्वर/संबलपुर। पश्चिम ओडिशा में राज्य के हाईकोर्ट की स्थायी पीठ की स्थापना की मांग को लेकर जारी आंदोलन अब आर-पार की लड़ाई की ओर अग्रसर होता नजर आ रहा है। सुप्रीम कोर्ट के फटकार और काम पर लौटने के निर्देश के बाद संबलपुर जिला बार एसोसिएशन ने भी सख्ती भरा रुख अख्तियार कर लिया है और आरपार की लड़ाई का बिगुल फूंक दिया है।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम ओडिशा में हाईकोर्ट की स्थायी पीठ की स्थापना की मांग को लेकर ओडिशा में आंदोलनकारी वकीलों को फटकार लगाई थी और उन्हें काम पर लौटने का निर्देश दिया था। साथ ही कहा था कि अवमानना करने पर लाइसेंस निलंबित कर दिया जायेगा। इस पर संबलपुर जिला बार एसोसिएशन ने कहा कि अगर उनमें से एक को निलंबित किया जाता है, तो लगभग 1600 वकील अपने लाइसेंस सरेंडर कर देंगे। आंदोलनकारियों ने संबलपुर में उच्च न्यायालय की एक स्थायी पीठ की स्थापना की मांग को लेकर काम बंद रखने का फैसला किया है।
मांगें पूरी नहीं होने तक जारी रहेगा आंदोलन
संबलपुर जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश्वर मिश्र ने कहा कि हमारी मांगें पूरी होने तक वकील आंदोलन जारी रखेंगे। अगर एक वकील को सस्पेंड किया जाता है तो बार एसोसिएशन के 1600 वकील अपने लाइसेंस सरेंडर कर देंगे। हम परिणामों से डरते नहीं हैं।
उन्होंने संबलपुर डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारी इकाई को निलंबित करने के बार काउंसिल ऑफ इंडिया और स्टेट बार काउंसिल के आदेश की भी निंदा की और कहा कि उन्हें लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित इकाई को निलंबित करने का अधिकार नहीं है।
14 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने काम पर लौटने की दी थी चेतावनी
गौरतलब है कि बार एसोसिएशन के सदस्यों ने 2 नवंबर को अपनी मांगों को मनवाने के लिए काम बंद करने के आंदोलन का सहारा लेने की घोषणा की थी। इसके बाद एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 14 नवंबर को चेतावनी दी थी कि यदि वकील काम पर नहीं लौटते हैं तो वह अवमानना कार्यवाही शुरू कर सकता है या ओडिशा के कई जिलों में बार संघों के हड़ताली सदस्यों के लाइसेंस निलंबित कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 16 नवंबर तक काम फिर से शुरू करने के लिए कहा था।
सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा दायर एक आवेदन पर सुनवाई की थी। आवेदन में कहा गया था कि कई जिलों में बार संघों की हड़ताल ने सभी अधीनस्थ अदालतों में न्यायिक कार्य को गंभीर रूप से बाधित किया है।
पीठ ने कहा कि उसे उम्मीद है कि 16 नवंबर तक सभी बार संघ पूरी तरह से काम करेंगे, ऐसा नहीं करने पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है।