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भारत छोड़ो आंदोलन में निभाई थी प्रमुख भूमिका
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मुख्यमंत्री और केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने जताया शोक
भुवनेश्वर। बालिकुड़ा के गांधी के नाम से प्रसिद्ध प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी विश्वनाथ दास का 105 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। वे लंबे समय से उम्र संबंधी बीमारियों से पीड़ित थे। कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली। वह पिछले एक हफ्ते से वेंटिलेटर पर थे और आठ डॉक्टरों की टीम उनका इलाज कर रही थी।
जगतसिंहपुर जिले की बालिकुड़ा तहसील के अंतर्गत गांव भगवन सिंधोला के रहने वाले दास छात्र जीवन से ही महात्मा गांधी के कहने पर स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए थे। उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में एक प्रमुख भूमिका निभाई। साल 1942 और 1943 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्हें जेल में डाल दिया गया था।
साल 2012 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में सम्मानित किया था। इसी तरह उन्हें दूसरी बार तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 2020 के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सम्मानित किया।
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और प्रतिष्ठित राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त करने वाले विश्वनाथ दास के निधन पर शोक व्यक्त किया। एक ट्वीट में अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में दास का योगदान अतुलनीय था।
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी संवेदना व्यक्त करते हुए ट्विट किया है कि विश्वनाथ दास के निधन के बारे में सुनकर बेहद दुःख हुआ। स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका को आने वाली पीढ़ियों के लिए स्मरणीय रहेगा। मैं शोक संतप्त परिवार के लिए प्रार्थना और संवेदना व्यक्त करता हूं।
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