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अनावश्यक हिंसा से बचने का लक्ष्य जैन संस्कृति की अपनी पहचान – मुनि श्री जिनेश कुमार

  •  तेरापंथ युवक परिषद कटक की दीपवाली पूजन कार्यशाला आयोजित

कटक। अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के निर्देशन में जैन संस्कार विधि से देश भर में दीपवाली पूजन कार्यशाला के अंतर्गत तेरापंथ युवक परिषद कटक द्वारा मुनि श्री जिनेश कुमार जी ठाणा-३ के सान्निध्य में तेरापंथ भवन में आयोजित की गयी।
कार्यशाला का प्रारंभ सामूहिक नमस्कार महामंत्र से किया गया। विजय गीत का संगान तेयुप के सदस्यों द्वारा किया गया। श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन उपासक एवम् संस्कारक श्री राजेन्द्र लुणिया ने किया। उपस्थित श्रावक-श्राविका समाज का स्वागत अध्यक्ष श्री भैरव दुगड़ ने किया। जैन संस्कारक श्री पानमल नाहटा, श्री राजेन्द्र लुणिया एवं श्री मनीष सेठिया द्वारा दीपावली पूजन कार्यशाला को विधि विधान से एवं मंगल मंत्रोच्चार द्वारा उपस्थित सभी श्रावक समाज को डेमो के माध्यम से करवायी गयी।
कार्यशाला में विशेष आकर्षण “बने वर्धमान प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता” रहा, जिसमें भगवान महावीर, जैन संस्कार विधि एवं दीपावली पूजन कार्यशाला के ऊपर कुल 25 प्रश्नों का पत्र सभी को दिया गया। इसका रिजल्ट अभातेयुप द्वारा दीपावली के पश्चात घोषित किया जाएगा एवं प्रथम द्वितीय एवं तृतीय विजेताओं को पुरस्कृत किया जाएगा।
मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने अपने मंगल उद्बोधन में “जैन संस्कार क्यों और कैसे” विषय पर सम्बोधित करते हुए कहा कि विश्व में ख्यातनाम धर्मों में एक धर्म जैन धर्म है। जैन धर्म ञविजेताओं का धर्म है। राग-द्वेष विजेता को जिन कहते हैं और जिन द्वारा कहे गए धर्म को जैन धर्म कहते हैं। जैन धर्म आध्यात्मिक व वैज्ञानिक धर्म है। हर धर्म संप्रदाय में संस्कारों का अपना विशिष्ट मूल्य है। संस्कारों से ही संस्कृति जानी जाती है। जैन धर्म के भी अपने संस्कार है। कुछ संस्कार आत्मा को आलोकित करने वाले होते हैं। कुछ संस्कार लौकिक चेतना को उजागर करने वाले होते हैं। जैन संस्कार विधि का अपना महत्व है। इसमें मुख्यतः तीन बातों पर विशेष ध्यान दिया जाता है (आस्था, संयम और अहिंसा) मांगलिक अवसरों पर अनावश्यक हिंसा से बचने का लक्ष्य जैन संस्कृति की अपनी पहचान है। मंगल मंत्रोच्चार से पवित्र वातावरण का निर्माण होता है। जय जिनेन्द्र, संस्कृतिपरक साज-सज्जा जैन संघ को सुरक्षित रखने का उत्तम प्रयास है। सभी अहिंसा आधारित संस्कारों में जैन संस्कार विधि का महत्व समझे, यह आवश्यक है।
बाल मुनि श्री कुणाल कुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान किया, कार्यक्रम का संचालन मुनि श्री परमानन्द जी द्वारा किया गया। कार्यक्रम में समाज के वरिष्ठ श्रावक श्री मंगलचंद जी चोपड़ा, सभा अध्यक्ष मोहन लाल जी सिंघी, तेयुप अध्यक्ष भैरव जी दुगड़, महिला मंडल अध्यक्षा श्रीमती हीरा देवी बैद, तेयुप कार्यसमिति सदस्यों की उपस्थिति रही। आभार ज्ञापन मंत्री श्री मनीष जी सेठिया ने किया। कार्यशाला का समापन मुनि श्री जिनेश कुमार जी के द्वारा मंगल पाठ से किया गया।

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