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तनावग्रस्त युवापीढ़ी के लिए वरदान है प्रेक्षाध्यान – मुनि जिनेश कुमार

  • प्रेक्षाध्यान कार्यशाला का आयोजन

कटक। युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनिश्री जिनेश कुमार जी ठाणा – 3 के सान्निध्य में प्रेक्षाध्यान कार्यशाला का आयोजन तेरापंथ महिला मंडल द्वारा तेरापंथ भवन में किया गया। कार्यशाला में लगभग 50 साधकों ने हिस्सा लिया । कार्यशाला में ध्यान साधको को संबोधित करते हुए- मुनिश्री जिनेश कुमार जी ने कहा – दुनियां में उसने बड़ी बात करली, खुद अपने से जिसने मुलाकात करली। जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है अपने आप में रहना। जिस प्रकार शरीर में मस्तिष्क का तथा वृक्ष में उसकी जड़ का महत्त्व पूर्ण स्थान है। उसी प्रकार आत्म धर्म की साधना में ध्यान का प्रमुख स्थान है। ध्यान का अर्थ है आत्मा में रमण करना है। ध्यान निवृत्ति का मार्ग है। ध्यान वासना से उपासना, विभाव से स्वभाव भोग से योग, बहिर्मुखी से अन्तर्मुखी और राग से विराग का मार्ग है। ध्यान से चिन्तशुद्धि व आभा – मंडल निर्मल व पवित्र होता है। ध्यान स्वयं के द्वारा स्वयं की पहचान है। जिस प्रकार ज्योति के अभाव में दीपक का मूल्य नहीं होता है, उसी प्रकार ध्यान के बिना जीवन का विशेष मूल्य नहीं होता है।

ध्यान किसी जाति, वर्ण या सम्प्रदाय से बंधा हुआ नहीं होता उसका संबंध आत्म शुद्धि से है। मुनि जिनेश कुमार ने आगे कहा- जैनधर्म में प्राचीनकाल से ध्यान की विधियों प्रचलित रही है। ध्यान साधक एवं अनुसंधाता आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी ने विच्छिन्न हुई ध्यान परंपरा को प्रेक्षाध्यान के रूप में आविष्कृत कर मानव जाति पर महान उपकार किया है। प्रेक्षाध्यान पद्धति अध्यात्म व विज्ञान के समन्वय का सुन्दर उदाहरण है। प्रेक्षाध्यान तनाव मुक्ति की उत्तम प्रक्रिया है। तनावग्रस्त युवापीढ़ी के लिए प्रेक्षाध्यान वरदान है प्रेक्षाध्यान में कायोत्सर्ग, श्वासप्रेक्षा, अंतर्यात्रा, ज्योति केन्द्र प्रेक्षा आदि प्रयोग करवाए जाते हैं। प्रेसाध्यान में उपसंपदा का भी बहुत बड़ा महत्त्व है उपसंपदा का अर्थ है- एक प्रकार की शपथ, दीक्षा । भावक्रिया, प्रतिक्रिया विरति मैत्री, मिताहार, मितभाषण उपसंपदा के सूत्र है। ध्यान के द्वारा जीवन व्यवहार में परिवर्तन होता है। इस अवसर पर मुनिश्री परमानंद ‌जी ने कहा – प्रेक्षाध्यान कर्मनिर्जरा व तनाव मुक्ति का महत्त्वपूर्ण माध्यम है। प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन ध्यान करना चाहिए । कार्यक्रम का शुभारंभ बाल मुनि कुणाल कुमार जी द्वारा प्रेक्षागीत के संगान से हुआ। आभार ज्ञापन श्रीमती समता सेठिया ने लिया ।

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