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ओडिशा में तीन साल में हाथियों के हमले में 322 लोगों की मौत

  •  राज्य में तीन साल में 245 हाथियों की गयी जान

  •  देश में कुल 1,578 लोगों ने गवांयी जान

भुवनेश्वर। देश में ओडिशा में बीते तीन सालों के दौरान हाथियों के हमले में सबसे अधिक मौतें हुईं हैं। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव के एक बयान के अनुसार, साल 2019-20, साल 2020-21 और साल 2021-22 के बीच देश में हाथियों के हमलों में कुल 1,578 लोगों की मौत हुई है। इनमें से सबसे ज्यादा 322 मौतें ओडिशा में हुईं।
केंद्रीय मंत्री ने यह बयान संसद में अंतिम सत्र के दौरान दी थी। उन्होंने बताया कि साल 2019-20 में हाथियों के हमलों में 117 लोगों की मौत हुई थी, जबकि साल 2020-21 के दौरान 93 और 2021-22 में 112 लोगों की मौत हुई।
इसके साथ ही, राज्य में विभिन्न कारणों से जंगली हाथियों की मौत भी हुई। कारणों में अवैध शिकार, बिजली का करंट, ट्रेन दुर्घटना और सड़क दुर्घटनाएं आदि शामिल हैं।
तीन वर्षों में हुई 245 हाथियों की मौत
आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले तीन वर्षों में हुई 245 हाथियों की मौत हुई है। साल 2019-20 से साल 2021-22 की समान अवधि के दौरान ओडिशा में कम से कम 245 हाथियों की मौत हुई है। जहां साल 2019-20 में 82 हाथियों की मौत हुई, वहीं साल 2020-21 में 77 की मौत हुई। इसके अलावा साल 2021-22 में मौतों की संख्या बढ़कर 86 हो गई।
ढेंकानाल वन प्रभाग में सर्वाधिक 35 हाथी मरे
कुल 245 हाथियों की मौत में से ढेंकानाल वन प्रभाग में 35 मौतें हुईं। इसके बाद खनिज समृद्ध केंदुझर डिवीजन में 21 और अनुगूल में 12 मौतें हुईं।
पिछले तीन वर्षों के दौरान, देवगढ़ और आठमल्लिक वन प्रभागों में 11-11 हाथियों की मौत हुई है, जबकि बालेश्वर वन्यजीव प्रभाग, कलाहांडी (दक्षिण) और खुर्दा मंडल से ऐसी 10 मौतें हुई हैं।
पिछले एक दशक (2012-13 से 2021-22) के दौरान ओडिशा में 784 हाथियों की मौत हुई है, जिनमें से 36 हाथी दुर्घटनाओं में मारे गये, जबकि 34 शिकारियों और अन्य लोगों द्वारा विभिन्न कारणों से मारे गये। 36 आकस्मिक मौतों के शिकार हुए, जिसमें से 30 ट्रेन दुर्घटनाओं में मारे और छह सड़क दुर्घटनाओं में मारे गये।
इन मौतों के अलावा, जून और जुलाई में ओडिशा पुलिस को कटक जिले के आठगढ़ वन क्षेत्र से छह हाथियों की हड्डियां और शव मिले। मानवीय व हाथियों के हताहतों के अलावा हाथी बस्तियों के पास रहने वाले लोगों के घरों और फसलों को भी नष्ट कर रहे हैं।
राज्य सरकार कर रही हाथियों के संरक्षण प्रयास
राज्य सरकार द्वारा जंगली हाथियों के संरक्षण के लिए उठाये गये विभिन्न कदमों की जानकारी देते हुए ओडिशा के वन मंत्री प्रदीप आमत ने 19 जुलाई को विधानसभा में एक लिखित उत्तर में कहा था कि हाथियों की मौत को रोकने के लिए 14 हाथी गलियारे और तीन हाथी संरक्षण परियोजनाएं शुरू की गई हैं। राज्य सरकार ने हाथियों को पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए तालाब खुदवाया है। पिछले तीन वर्षों में कम से कम 402 तालाब खोदे गये हैं और 426 तालाबों का जीर्णोद्धार किया गया है।
अवैध शिकार को रोकने को तैनात हैं विशेष दस्ते
हाथियों के अवैध शिकार को रोकने के लिए 1715 कर्मियों को लेकर 343 अवैध शिकार विरोधी दस्तों को रणनीतिक स्थानों पर तैनात किया गया है। हाथियों के आवास, उनकी गतिविधियों और शिकारियों की आवाजाही पर कड़ी निगरानी रखने के लिए ड्रोन और वॉच टावरों का इस्तेमाल किया जा रहा है। राज्य सरकार ने महत्वपूर्ण मामलों में जांच और कार्रवाई के लिए अपराध शाखा के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) के तहत एक अपराध प्रकोष्ठ का गठन किया है।
वन्य जीवों के सुरक्षित आवागमन के लिए भी उठाये गये हैं कई कदम
इसके साथ ही वन्य जीवों के सुरक्षित आवागमन के लिए रेलवे लाइन पर 35 स्थानों पर एनिमल ओवरपास या अंडरपास बनाने का प्रस्ताव है। इसके अलावा, विभिन्न राजमार्गों पर 49 स्थानों पर अंडरपास प्रस्तावित किये गये हैं, जिन पर 11 स्थानों पर काम पूरा हो चुका है और 15 अन्य स्थानों पर कार्य प्रगति पर है। राज्य सरकार ने जंगली जानवर के हमले में मौत के लिए मुआवजे की राशि को 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 4 लाख रुपये कर दिया है।

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