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भारत के दुश्मन का पीछा करके मारेगी यह मिशाइल

गोविंद राठी, बालेश्वर। भारत ने आज एक साथ छह मिशालों का सफल परीक्षण किया। यह मिशाइलें अपने दुश्मन का पीछा करते हुए टार्गेट को हासिल करने में महारथ रखती हैं। भारतीय सेना और भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने आज क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल (क्यूआरएसएएम) का सफल परीक्षण किया। ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्टिंग रेंज (आईटीआर) से छह मिसाइलें दागी गईं।
मिसाइलों को दागने के दौरान यह देखा गया कि क्या वे तेज गति से आ रहे टार्गेट पर सटिकता से हमला कर पाती हैं या नहीं।
परीक्षण के दौरान कई तरह की परिस्थितियों को पैदा किया गया, जिसमें दुश्मन का हवाई टार्गेट तेज गति से आता है। उसे खत्म करने के लिए क्यूआरएसएएम को लॉन्च किया जाता है। इस दौरान लॉन्ग रेंज मीडियम एल्टीट्यूड, शॉर्ट रेंज, हाई एल्टीट्यूड मैनुवरिंग टारगेट, लो राडार सिग्नेचर, क्रॉसिंग टारगेट्स और दो मिसाइलों को एक के एक बाद दागकर टार्गेट के बचने और खत्म होने की समीक्षा की गई। परीक्षण को दिन और रात दोनों परिस्थितियों में किया गया।
क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल (क्यूआरएसएएम) ने सभी मानकों को पूरा किया। सटीकता से साथ टारगेट पर हमला किया। इस दौरान मिसाइल के वॉरहेड चेन की भी जांच की गई। सारे परीक्षणों के बाद यह बात पुख्ता हो गई कि भारतीय क्यूआरएसएएम सिस्टम बेहतरीन, घातक, तेज और सटिक है। डीआरडीओ ने फ्लाइट टेस्ट के दौरान टेलीमेट्री, राडार और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम की भी जांच की, ताकि यह पता चल सके कि ये सभी मिसाइल और दुश्मन के टार्गेट को सही से ट्रैक कर रहे हैं या नहीं। सभी सिस्टम बखूबी काम कर रहे थे।
इन परीक्षणों के बाद क्यूआरएसएएम को सेना को सौंप दिया जाएगा। इन मिसाइलों में स्वदेशी रेडियो फ्रिक्वेंसी सीकर लगे हैं। इस सिस्टम में इसके अलावा मोबाइल लॉन्चर, ऑटोमेटेड कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम, सर्विलांस और मल्टी-फंक्शन राडार होता है। अगर इस मिसाइल को दागने के बाद भूल भी गये, तो भी यह अपने टार्गेट का पीछा करके मारती हैं। मिसाइल की इस क्षमता का सफल परीक्षण आज हुए टेस्ट के दौरान कर लिया गया।
भारतीय स्वदेशी क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल (क्यूआरएसएएम) के ऊपर एचएमएक्स/टीएनटी या प्री-फ्रैगमेंटेड वॉरहेड लगाया जा सकता है। वॉरहेड का वजन 32 किलोग्राम हो सकता है। मिसाइल की रेंज 3 से 30 किलोमीटर है। यह 98 फीट ऊंचाई से लेकर 33 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकती है। इसे छह ट्यूब वाले लॉन्चर ट्रक से दागा जा सकता है।

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