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जैन तेरापंथ समाज की अणुव्रत संघोष्ठी आयोजित

भुवनेश्वर। तेरापंथ भवन भुवनेश्वर में महातपस्वी युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनिश्री डॉ ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा-3 के सानिध्य के सानिध्य में अणुव्रत संघोष्ठी के अन्तर्गत व्यक्तित्व विकास कार्यशाला का आयोजन उत्कल संस्कृति विश्वविद्यालय के साथ श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा भुवनेश्वर ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में उत्कल संस्कृति विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर व्योमकेश त्रिपाठी तथा जैन चैयर की डॉ सुचित्रा दास उपस्थित थे।
मुनिश्री के मंगल पाठ के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। सपना बैद ने अणुव्रत गीतिका का संघान किया।
विषय प्रवेश वीरेंद्र बेताला तथा जसवंत जैन ने किया तथा अणुव्रत संघोष्ठी के बारे में विस्तार से जानकारी दी। प्रकाश बेताला ने व्यक्तित्व विकास कार्यशाला पर अपने सारगर्भित विचारों को रखा।
मुख्य अतिथि व्योमकेश त्रिपाठी ने अणुव्रत के सिद्धांतों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज के संदर्भ में यह सिद्धांत प्रत्येक मानव मात्र के लिए उपयोगी है।
मुनिश्री डॉ ज्ञानेन्द्र कुमार जी ने अपने प्रेरणा पाथेय में बताया कि भारतवर्ष 1947 में आजाद हुआ तथा देश में नैतिक विचारों का अभाव था। 1049 में उस समय तेरापंथ के नवम आचार्य श्री तुलसी ने असली आजादी अपनाओ के रुप में जन-जन के हिताय अणुव्रत सिद्धांतों का सूत्रपात किया तथा राष्ट्रपति भवन से लेकर गरीब की झोपड़ी तक पदयात्रा करते हुए अपने विचारों से जन मानस को अवगत कराया। आज अणुव्रत के सिद्धांत पर स्कूल तथा कालेजों में पाठ्यक्रम चल रहे हैं।
सभी अतिथियों का स्वागत अभिनंदन तेरापंथ सभा अध्यक्ष बच्छराज बेताला ने किया तथा विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। बहुत अच्छी संख्या में कालेज के विद्यार्थियों तथा समाज बन्धुओं ने भाग लिया। कार्यक्रम का सफल संचालन तेरापंथ सभा के मंत्री पारस सुराणा ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन तथा मुनिश्री के कर्तज्ञता ज्ञापित की।

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