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बालेश्वर के भोगराई में सड़क किनारे प्रभावितों ने डाला डेरा
बालेश्वर। जिले के भोगराई में बाढ़ के कारण जनजीवन बेहाल हो गया है। प्रभावित लोगों के लिए सड़कें सहारा बनीं हैं। लोग सड़कों के किनारे पॉलीथिन का अस्थायी टेंट बनाकर रह रहे हैं। बताया जाता है कि बाढ़ के कारण भोगराई प्रखंड के निचले इलाके जलमग्न हो गये हैं। लोगों के घर अभी भी बाढ़ के पानी में डूबे हुए हैं। इसलिए उनके पास पॉलीथिन का ही सहारा बना हुआ है। अस्थायी तंबू में रात बिताने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
कहीं-कहीं लोग अपने बच्चों को साड़ी या गीली जमीन पर पतले कपड़ों को बिछाकर सुला रहे हैं। इधर, जिलाधिकारी ने आज प्रभावित इलाकों का जायजा लिया।
अव्यवस्था को लेकर गुस्सा
बाढ़ प्रभावितों में अव्यवस्था को लेकर प्रशासन के प्रति गुस्सा भी देखने को मिला है। प्रभावितों ने कहा कि प्रशासन ने सब कुछ भगवान के ऊपर पर छोड़ दिया है।
एक बाढ़ पीड़ित ने कहा कि प्रशासन ने अभी तक हमें पॉलीथिन शीट उपलब्ध नहीं कराई है। हम अपने बच्चों के साथ फटी पॉलीथिन शीट के नीचे रहने को मजबूर हैं।
नहीं मिल रहा पका भोजन
एक बुजुर्ग महिला ने कहा कि हमें सिर्फ रात में ही पका भोजन मिला। इसके बाद चूड़ा खाकर हम रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि बाढ़ से पहले ही काफी क्षति हो चुकी है, लेकिन अब बारिश ने और मुश्किलें बढ़ दी हैं।
खेती और मत्स्य पालन को नुकसान
एक अन्य बाढ़ प्रभावित व्यक्ति ने कहा कि बाढ़ के कारण खेती को काफी नुकसान पहुंचा है। फसलें नष्ट हो गयी हैं। सबसे अधिक नुकसान मत्स्यपालकों को हुआ है। उनकी मछियां बाढ़ के पानी में बह गयी हैं। उन्होंने कहा कि बाढ़ ने हमें कहीं नहीं छोड़ा है। मेरे पास एक तालाब है, जहां मैं मछलियां पाल रहा था। बाढ़ के पानी में सब बह गयी हैं। इसी तरह मेरी सब्जी की फसल भी नष्ट हो गई है।
बाढ़ की स्थिति में सुधार
जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता विजय मिश्र ने कहा कि राज्य में बाढ़ की स्थिति में सुधार है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सामान्य स्थिति लौट रही है। महानदी और अन्य नदियों का जलस्तर घट रहा है। महानदी में अब तक सात खराबियां आ चुकी हैं। अस्थायी रूप से खराबियों को ठीक किया जा रहा है। उनकी स्थायी मरम्मत नवंबर में की जायेगी।