भुवनेश्वर। विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के तत्वावधान में गोवर्धन पीठ पुरी के परिसर में चल रहे अखिल भारतीय वैदिक गणित संगोष्ठी के दूसरे दिन रविवार को देर शाम को संगोष्ठी में शामिल होने के लिए देशभर से आए वैदिक गणित विशेषज्ञों को पूज्य शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी का स्नेहिल सानिध्य एवं संबोधन प्राप्त हुआ।
अखिल भारतीय वैदिक गणित संगोष्ठी में उपस्थित लोगों को अपने आशीर्वाद वचन में पूज्य शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी ने वेद काल से चले आ रहे अंक ज्ञान, रेखा गणित, शून्य ब्रह्म एवं बीजगणित विषयों को उदाहरण के साथ सामान्य जीवन से जोड़ते हुए इसकी व्याख्या की। उन्होंने 143वें शंकराचार्य स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ जी के द्वारा संसार को अनुपम भेंट वैदिक गणित के सूत्रों में अंकित मुख्य बातों पर भी भी प्रकाश डाला।
शंकराचार्य स्वामी जी ने सामान्य जीवन में हर एक व्यक्ति को एक गणितज्ञ बताया। उन्होंने कहा कि किसी भी सामान्य घर की गृहिणियां एक वैज्ञानिक के रूप में कार्य करती हैं जो गणित के अभ्यास के द्वारा भोजन निर्माण करती हैं। उन्होंने बताया कि आज भारत के सनातनी ज्ञान से पाश्चात्य देश अपने को शिक्षित और दिक्षित करते जा रहे हैं, जबकि मूल में भारतीय ज्ञान परम्परा है।
इस मौके पर विद्या भारती वैदिक गणित विभाग के अखिल भारतीय संयोजक देवेंद्र राव देशमुख, उत्तर पूर्व क्षेत्र (बिहार क्षेत्र) के वैदिक गणित विभाग के क्षेत्रीय प्रमुख रामचंद्र आर्य सहित दर्जनों की संख्या में देश भर से आए वैदिक गणित विशेषज्ञ एवं स्थानीय कार्यकर्ता बन्धु भगिनी उपस्थित थे।
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