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सर्वोच्च न्यायालय की फटकार के बाद हाईकोर्ट की आंच समाप्त

  •  अदालत लौटे अधिवक्ता

  •  दिया सर्वोच्च न्यायालय को सम्मान देने का हवाला

संबलपुर। देश के सर्वोच्च न्यायालय की फटकार के बाद पश्चिम ओडिशा में पिछले कई दशकों से चल रहे हाईकोर्ट बेंच आंदोलन की आंच अब लगभग समाप्त हो गई है। सुप्रीम कोर्ट के कड़े तेवर के बाद  अधिवक्ताओं ने काम पर लौटने का फैसला लिया। मसलन सोमवार से अदालत की प्रक्रिया सामान्य रूप से आरंभ हो गई है। हाईकोर्ट बेंच आंदोलन की धूरी रहे पश्चिम ओडिशा अधिवक्ता क्रियानुष्ठान कमेटी के संयोजक अशोक दास एवं संबलपुर जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष बीजीतेन्द्रिय प्रधान की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को सम्मान देते हुए उन्होंने यह फैसला लिया है। फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय में हाईकोर्ट की स्थायी बेंच का मामला विचाराधीन थी। अदालत का फैसला आने के बाद इस मुद्दे पर आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। गौरतलब है कि पिछले कई दशकों से पश्चिम ओडिशा में हाईकोर्ट बेंच स्थापित किए जाने की मांग उठती रही है। इस मुद्दे को लेकर लगातार आंदोलन का रास्ता अख्तियार किया गया। अंचल के अनेकों लोगों ने इस आंदोलन को अपना समर्थन दिया। अंचल के आमलोग अपना कारबार छोडक़र इस आंदोलन में सीधे तौरपर शरीक हुए। विडंबना का विषय यह है कि आमजनता को पता ही नहीं था कि एक झटके में यह मुद्दा समाप्त जाएगा। इस सिलसिले में आगे की रणनीति तैयार करने हेतु संबलपुर जिला अधिवक्ता संघ के कार्यालय में पश्चिम ओडिशा अधिवक्ता क्रियानुष्ठान कमेटी की विशेष बैठक हुई। कमेटी के संयोजक अशोक दास की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में कमेटी के प्रवक्ता सुरेश्वर मिश्र, संबलपुर जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष बीजीतेन्द्रिय प्रधान, झारसुगुड़ा जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष संदीप अगस्ती, रघुुमणी पटेल, दिनेश जैन, देवगढ़ वकील संघ के अध्यक्ष राजीव लोचन प्रधान, विकास प्रधान, तारिणीकांत दास, सुंदरगढ़ वकील संघ के अध्यक्ष दुष्मंत नायक, अशोक स्वांई, सुकांत महापात्र, बौद्ध वकील संघ के कृष्णचंद्र मेहेर, अताबिरा वकील संघ के राकेश पाढ़ी एवं त्रिलोचन बेहेरा समेत पश्चिम ओडिशा के विभिन्न इलाके के अनेकों अधिवक्ता शामिल हुए।

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