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सत्तापक्ष व विपक्ष आमने-सामने
भुवनेश्वर. एलएंडटी कंपनी के भुगतान के मामले को लेकर आज विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ. बताया जाता है कि कंपनी को दिये जाने वाले 20 करोड़ रुपये का भुगतान सरकार द्वारा न किये जाने के कारण यह राशि बढ़कर 120 करोड़ रुपये तक पहुंच गयी है.
साथ ही कंपनी के सरकारी संपत्ति को जब्त करने के मामले को लेकर विघानसभा में सत्तापक्ष व विपक्ष आमने-सामने दिखे. इस मामले में विपक्षी पार्टियों के हंगामे के कारण विधानसभा आज कामकाज नहीं हो सका. विधानसभा अध्यक्ष ने सदन को बार-बार स्थगित किया.
सुबह 10.30 बजे विधानसभा अपने निर्धारित कार्यसूची के अनुसार प्रारंभ हुआ. विधानसभा अध्यक्ष ने प्रश्नकाल का कार्यक्रम शुरु करने के लिए वित्त मंत्री को उत्तर देने के लिए कहा कि लेकिन इस मामले को लेकर विपक्ष द्वारा लाये गये कार्यस्थगन प्रस्ताव पर चर्चा के लिए अनुमति न दिये जाने के कारण दोनों विपक्षी पार्टियों के विधायक सदन के बीच में आकर हंगामा करने लगे. विधानसभा अध्यक्ष ने उनसे अपील की कि वे अपनी सीट में जाकर बैठे व सदन को चलाने में सहयोग प्रदान करें, लेकिन विपक्षी विधाय़क नहीं माने. इस कारण विधानसभा अध्यक्ष विक्रम केशरी आरुख ने सदन को 11.30 बजे तक स्थगित करने की घोषणा की.
सुबह 11.30 बजे जब सदन की कार्यवाही फिर से प्रारंभ हुई, तो शून्यकाल में भी यही स्थिति देखी गई. विधानसभा अध्यक्ष आरुख ने कहा कि यह मामला विचाराधीन होने के कारण इस मामले में सदन में चर्चा कराना संभव नहीं है. भाजपा विधायकों ने कहा कि यह मामला किसी प्रकार विचाराधीन नहीं है, बल्कि विचाराधीन होने की बात कहकर राज्य सरकार इस मामले में बचने का प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि विपक्षी की मांग है कि यह काफी महत्वपूर्ण विषय है. इस पर चर्चा किया जाये.
कांग्रेस विधायक तारा प्रसाद वाहिनिपति ने कहा कि यह मामला काफी गंभीर है. साल 2004 से 2022 तक सरकार ने इस घटना को गंभीरता से नहीं लिया. सरकारी संपत्ति को निजी कंपनी ने सीज कर लिया है. सरकार के गुप्त तथ्य वाले कंप्यूटरों को उक्त कंपनी ले गई है. उस कंपनी को ब्लैकलिस्ट किया जाना चाहिए. जिन अधिकारियों के कारण यह घटना घटी है, उनकी व्यक्तिगत संपत्ति को भी जब्त किया जाना चाहिए.
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