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देशहित में अच्छी नहीं है देशविरोधी राजनीति – विजय खंडेलवाल

  • कहा-मोदी और ट्रम्प की दोस्ती ने दोनों देशों को दी नई दिशा

  • विदेशों में भारतीयों का कद काफी बढ़ा


भुवनेश्वर. देशविरोधी राजनीति देश के हित में अच्छी नहीं है. ओछी राजनीति देश का नाम बदमान करती है. उक्त बातें स्कियोरिटी काउंसिल आफ यूनाइटेड नेशन के सदस्य तथा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मामलों पर करीबी से नजर रखने वाले युवा उद्योगपति और विचारक विजय खंडेलवाल ने कहीं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस देश के अतिथि देवो भवः के संस्कार को भूला रही है, जिससे वह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम के स्वागत पर किये गये खर्चे पर सवाल उठा रही है. उन्होंने कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करते हुए सवाल किया कि क्या इससे पहले विदेशी मेहमानों के स्वागत पर खर्चे नहीं हुए हैं. कांग्रेस को इस तरह की ओछी राजनीति से बाज आनी चाहिए. खंडेलवाल ने कहा कि कांग्रेस को याद रखना चाहिए कि साल 1962 में जब चीन ने भारत पर हमला किया था, तब अमेरिका ने अपनी नौसेना के बेड़ा को भेज दिया था, जिसकी सूचना पर चीन को पीछे हटना पड़ा था. अमेरिका शुरू से ही भारत के साथ एक मजबूत दीवार के रूप में खड़ा है. कांग्रेस की देशविरोधी राजनीति के कारण ही गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के कार्यकाल के दौरान नरेंद्र मोदी को वीजा देने से अमेरिका मना करता रहा, लेकिन जब वह मोदी के संपर्क में आया तो उसे सच्चाई समझ में आई. विरोध करने वाले देश के उसी राष्ट्रपति ने मोदी का रेड कार्पेट स्वागत किया और तबसे भारत और अमेरिका की दोस्ती और पगाढ़ होती गयी.

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एक समय होता था, जब हमारे देश के प्रधानमंत्री विदेशी नेताओं के समक्ष हाथ जोड़कर खड़े रहते थे, लेकिन आज एक समय ऐसा जब विदेशी नेता हमारे देश के प्रधानमंत्री का इंतजार करते हैं. इन दिनों जबसे ट्रम्प और मोदी की दोस्ती हुई है, तबसे दोनों देशों के रिश्तों में और मजबूती हुई है. अमेरिका में रहने वाले भारतीयों का मान-सम्मान काफी बढ़ गया है. इस बात का अनुभव तभी हो सकता है, जब आप अमेरिका जायेंगे. वहां रह रहे भारतीयों ने बताया है कि मोदी के सत्ता में आने के बाद हमें अपूर्व सम्मान मिल रहा है. खंडेलवाल ने कहा कि दोनों देशों के होने वाले समझौतों से देश को एक नई दिशा मिलेगा तथा देश का विकास होगा. विदेशी समझौते से पहले कांग्रेस राजनीति कर दोनों देशों के बीच खटास उत्पन्न करना चाहती है, जो उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि देश को यह याद रखना चाहिए कि जब भी सुरक्षा परिषद में भारत की दावेदारी की बात उठी है तब-तब अमेरिका ने समर्थन दिया है और चीन ने वीटो पावर लगाकर इसका विरोध किया है. यह भारत और अमेरिका के बीच गहरी दोस्ती की झलक है. हालही में कई ऐसे विषय हुए, जिसमें अमेरिका भारत के साथ मजबूती के साथ खड़ा रहा है.

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