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263वां तेरापंथ स्थापना दिवस हर्षोल्लास पूर्वक मनाया
कटक. युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेश कुमार जी ठाणा – 3 के सान्निध्य में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर 263वां तेरापंथ स्थापना दिवस हर्षोल्लास पूर्वक तेरापंथ भवन में मनाया गया. इस अवसर पर उपस्थित धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने कहा कि मारवाड़ की कंटका कीर्ण धरती पर जन्म लेकर गुलाब की तरह सत्य की सौरभ फैलाने वाले फौलादी व्यक्तित्व के धनी थे – आचार्य भिक्षु. उनकी धर्मक्रांति ही तेरापंथ के रूप में प्रसिद्ध हुई. वि.सं. 1817 आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन केलवा की अंधेरी ओरी में तेले की तपस्या में संत भिक्षु के भाव दीक्षा के स्वीकरण के साथ ही तेरापंथ की स्थापना हो गई. अंधेरी ओरी से निकला तेरापंथ सूर्य आज 262 वर्ष बाद भी दुनियां को सत्य के आलोक से आलोकित कर रहा है.
आचार्य भिक्षु ने आचार, विचार और व्यवस्था क्रांति की अन्धरूढ़ियों पर कबीर की वाणी की तरह चोट करने वाली उनकी वाणी थी. वे निर्भीक, साहसी, पुरुषार्थी, सत्य के पक्षधर व आचार वान थे. गुरु पूर्णिमा पर बोलते हुए मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा कि गुरु कागज, पत्थर व लकड़ी की नौका के समान होते हैं. जो गुरु लकड़ी की नौका की तरह होते हैं, वे ही जीवों को भवसागर पार लगा सकते हैं. गुरु अन्धकार का नाश करने वाले होते हैं. उन्होंने सामूहिक तेला तप एवं त्रिदिवसीय जप अनुष्ठान में संभागी बनने वाले भाई-बहिनों को साधुवाद प्रदान किया. इस अवसर पर विचार व्यक्त करते हुए मुनि परमानंद ने कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ का भव्य भवन बलिदान की नींव पर खड़ा हुआ है. आचार्य भिक्षु ने आचार, विचार क्रांति के साथ व्यवस्था क्रांति कर तेरापंथ को दीर्घजीवी बना दिया. इस अवसर पर वर्षावास स्थापना अनुष्ठान भी कराया गया. त्रिदिवसीय “ॐभिक्षु अखंड जप, व त्रिदिवसीय तेला तप, प्रत्याख्यान भी हुआ.
इस अवसर पर बाल मुनि कुणाल कुमार जी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे. कार्यक्रम को सफल बनाने में श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, तेरापंथ युवक परिषद तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ किशोर मंडल, तेरापंथ कन्या मण्डल के सदस्यों का महत्वपूर्ण योगदान रहा.
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