-
बचे हुए स्टॉक बने चिंता का कारण
-
भुवनेश्वर नगर निगम ने चलाया अभियान
भुवनेश्वर. एक जुलाई से हर जगह पर प्लास्टिक प्रतिबंधित हो गया है. पर्यावरण सुरक्षा के हित में यहां तक तो ठीक है, लेकिन इसका क्रियान्वयन हर बार कठघरे में रहा है. फरमान लागू करने से पहले परिस्थितियों पर ठीक से ध्यान नहीं दिया जाता है. अचानक लिये गये कोई भी निर्णय व्यापारियों के लिए सिरदर्द साबित होता है. इस बार भी कुछ ऐसा ही सिरदर्द बना हुआ प्लास्टिक पर प्रतिबंध का क्रियान्वयन. व्यापारी दबी जुबां प्लास्टिक प्रतिबंध के क्रियान्यवन पर सवाल उठाने लगे हैं. भुवनेश्वर नगर निगम ने आज से राजधानी क्षेत्र में इन्फोर्समेंट अभियान शुरू कर दिया है. बाजारों में प्लास्टिक के प्रयोग के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गयी है. सुबह से ही छापेमारी की जा रही है. इसे लेकर कुछ व्यापारियों ने नाराजगी जाहिर की है.
आर्थिक कमर तोड़ेगा बचा स्टॉक और फंसी लागत
व्यापारियों का कहना है कि पहले बचा हुआ स्टॉक का अब क्या होगा? स्टॉक को छुपाया नहीं जा सकता है. छापेमारी के दौरान परेशानियां होती हैं. स्टॉक की लागत भी दाव पर लगी है. एक तो पहले से ही कोरोना महामारी ने आर्थिक कमर तोड़ रखी थी. अब प्लास्टिक पर प्रतिबंध से स्टॉक की लागत उनको कर्ज में ढकेलेगी.
पत्ते तोड़ने से कोई फायदा नहीं?
बार-बार प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाये जाने को लेकर कड़ी प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं. सरकार के फैसलों के खिलाफ खुलकर कोई सामने नहीं आ रहा है, लेकिन दबी जुबां अपने दर्द को बयां जरूर कर रहे हैं. एक बड़े व्यापारी ने कहा कि पत्ते तोड़ने से कोई फायदा नहीं होगा. इसके लिए पहले पेड़ को जड़ से खत्म करने की जरूरत है. उनका इशारा प्लास्टिक प्रयोग के सस्ते विकल्प, प्लास्टिक उत्पादन की बंद होने वाली इकाइयों के लिए वित्तीय पैकेज और विकल्प से जुड़े उद्योग को प्रोत्साहन करने की जरूरत की तरफ था.
प्रतिबंध की सफलता के लिए समग्र वृहद योजना की जरूरत
यदि प्लास्टिक पर प्रतिबंध को सही मायने में लागू करना होगा तो इसके लिए एक समग्र वृहद योजना की जरूरत है. इसके लिए प्रभावित होने वाली उत्पादन इकाइयों के लिए पैकेज के जरिये उन्हें प्लास्टिक के विकल्प की तरफ मोड़ने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इसके लिए जमीनी स्तर से नियम को लागू करने की जरूरत है.
दो तीन साल में दुहरायी जाती है कहानी
भुवनेश्वर नगर निगम ने आज ट्विट कर प्लास्टिक प्रयोग के खिलाफ अभियान चलाये जाने की सूचना दी है. इस पर चिन्मय मिश्र नामक एक फालोवर्स ने लिखा है कि कहानी हर दो से तीन साल में दोहराई जाती है. कुछ दिनों के लिए छापे, जब्ती, दंड, आदि. फिर धीरे-धीरे चीजें हमेशा की तरह चलती हैं, जब तक कि अधिकारी 2 से 3 साल बाद फिर से नहीं जागते.
पैकेजिंग में प्लास्टिक प्रयोग पर सवाल
एक कॉमन मैन नामक फॉलोअर्स ने लिखा है कि मैं एक बार प्रयोग किये जाने वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध का समर्थन करता हूं, लेकिन क्या ये सिर्फ आम जनता के लिए है? क्या विभिन्न कंपनियों द्वारा अपने उत्पादों की पैकिंग के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला प्लास्टिक सिंगल यूज प्लास्टिक नहीं है? आप बड़े उद्यमियों का समर्थन क्यों कर रहे हैं और केवल आम जनता के लिए लागू करना चाहते हैं?