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गुंडिचा मंदिर के पास पहुंचे महाप्रभु श्री जगन्नाथ, भाई बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथ
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लाखों श्रद्धालुओं के हरिबोल व हुलुहुली से श्रीक्षेत्र का आध्यात्मिक परिवेश
पुरी. पुरी के विश्वप्रसिद्ध रथयात्रा में लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में श्रीमंदिर से अपने अपने रथों के जरिये निकल कर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा अपने मौसी मां गुंडिचा मंदिर के निकट पहुंच गये. सबसे पहले भगवान बलभद् का रथ तालध्वज, इसके बाद देवी सुभद्रा का रथ दर्पदलन व सबसे अंत में भगवान श्रीजगन्नाथ का रथ नंदिघोष पहुंचा.
कोरोना काल में दो वर्ष तक बिना भक्तों के रथयात्रा संपन्न होने के बाद इस बार भक्त और भगवान का पुरी के बडदांड में मिलन हुआ. भगवान के रथ की एक झलक पाने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु बडदांड पहुंचे.
सबसे पहले चक्रधारी सुदर्शन, देवी सुभद्रा को देवदलन रथ पर स्थापित करने के बाद भगवान बलभद्र को तालध्वज रथ पर रथारूढ़ किया गया. बड़े भाई और बहन के रथारूढ़ होने के बाद जगत के नाथ जगन्नाथ भी अपने रथ नंदिघोष पर रथारूढ़ हुए. तीनों भगवान को पहंडी नीति के अनुसार उनके रथों पर रथारूढ़ किया गया. शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने रथों पर भगवान के दर्शन किये. श्रीजगन्नाथजी के आद्य सेवक पुरी के गजपति महाराज दिव्य सिंह देव छेरापहंरा नीति को पूरा किया.
मुख्यमंत्री और राज्यपाल ने खींचा रथ
राज्य के राज्यपाल प्रो गणेशी लाल और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने रथयात्रा के दौरान रथों पर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के दर्शन किये. मुख्यमंत्री ने रथयात्रा में शामिल होने से पहले श्रीमंदिर परिक्रमा परियोजना की प्रगति की समीक्षा की. उन्होंने कहा कि यह भविष्य में भक्तों के लिए फायदेमंद होगा.