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अब पैतृक गांव भी होगा रौशन, सफलताओं से चमकेगा ससुराल
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पिछले तबके को नेतृत्व प्रदान करने से बढ़ेगी देश की चमक-दमक
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बेटी को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाये जाने पर मायके में दौड़ी खुशी की लहर
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बिजली सेवा से वंचित लोगों में जागी उम्मीद, अब दौड़ेगी बिजली और जलेंगे बल्ब
हेमन्त कुमार तिवारी, भुवनेश्वर
अक्सर आपने सुना होगा कि बेटियां दो घरों को रौशन करती हैं, लेकिन एनडीए की तरफ से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनीं द्रौपदी मुर्मू यदि राष्ट्रपति बन जाती हैं, तो वह तीन घरों को रौशन करेंगी. इसमें सबसे अधिक रौशन उनका पैतृका गांव होगा, जहां आज तक बिजली का कनेक्शन नहीं पहुंचा है. द्रौपदी मुर्मू का ससुराल उनकी सफलताओं से जहां चमकेगा, वहीं देश एक पिछले तबके को नेतृत्व प्रदान करके चमक-दमक उठेगा.
आगामी राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के रूप में उनके नाम की घोषणा के बाद से द्रौपदी मुर्मू सुर्खियों में हैं. जीत के लिए जरूरी आंकड़े भी झारखंड के पूर्व राज्यपाल और ओडिशा भाजपा नेता के पक्ष में, लेकिन यह बेहद चौंकाने वाला है कि बिजली आपूर्ति की कमी के कारण उनका पैतृक गांव अभी भी अंधेरे में डूबा हुआ है.
द्रौपदी मुर्मू का पैतृक गांव मयूरभंज जिले के रायरंगपुर से 20 किलोमीटर की दूरी पर कुसुम प्रखंड के उपरबेड़ा का डूंगुरीसाही स्थित है. यहां ग्रामीणों को बेहद गर्व है, क्योंकि उनके गांव की बेटी को बहुत जल्द ही देश के सबसे प्रतिष्ठित पद से नवाजा जायेगा.
अंधेरे में भी उम्मीद की रौशनी कायम
हालांकि, बिजली की कमी के कारण अंधेरे में जिंदगी गुजर-बसर कर रहे लोगों को गर्व महसूस हो रहा है और उम्मीद है कि उनकी बेटी पुरानी कहावतों को साकार करेगी कि बेटियां दो घरों को रौशन करती हैं. अब यहां के लोगों को उम्मीद है कि द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनते ही इस गांव में बिजली का कनेक्शन जरूर पहुंचेगा. गलियां और घर रौशनी से गुलजार होंगे.
अनुरोध पर नहीं दिया गया ध्यान
ग्रामीणों का आरोप है, बिजली के कनेक्शन के लिए वे दर-दर भटकते रहे. कई सरकारी अधिकारियों और मंत्रियों से अनुरोध भी किया, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया. एक ग्रामीण ने कहा कि 30 साल से हमारे गांव में बिजली नहीं है. हम अंधेरे में रह रहे हैं और सांसदों और विधायकों को इसकी सूचना दी है, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया.
उम्मीद है कि चीजें जल्द ही बदल जायेंगी
एक अन्य ग्रामीण ने कहा कि मैं यहां 10-15 साल से रह रहा हूं. गांव को अभी तक बिजली का कनेक्शन नहीं मिला है. अब अंधेरा हमारे जीवन का हिस्सा बन गया है. हालांकि, हमें उम्मीद है कि चीजें जल्द ही बदल जायेंगी.
सांसदों और मंत्री का जन्मस्थल, फिर भी अंधेरा कायम
यह गांव तीन सांसदों का जन्मस्थल होने के बावजूद अंधेरे में डूबा रहा है. आदिवासी बहुल इस गांव में द्रौपदी मुर्मू के घर के अलावा 50 से ज्यादा घर हैं. मुर्मू के चर्चा बनने से पहले ही उपरबेड़ा गांव की एक विशिष्ट पहचान है. यह गांव पूर्व सांसद सलखान मुर्मू, भवेंद्र मांझी और पूर्व मंत्री कार्तिक मांझी का जन्मस्थान है. हालांकि गांव में अभी एक नया सवेरा बाकी है. डुंगुरीशाही गांव के मुर्मू के रिश्तेदार धनमणि बस्के ने कहा कि मैं यहां 20 साल से रह रहा हूं, लेकिन बिजली कनेक्शन की कोई सुविधा नहीं है. मुझे उम्मीद है कि उनके राष्ट्रपति बनने के बाद स्थिति बदल जायेगी.